For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यूँ तुझसे मुहब्बत इतनी करता हूँ

तेरी हर बात का  कायल मै  रहता हूँ
क्यूँ तुझसे मुहब्बत इतनी करता हूँ

सितारों संग अकेले बैठता  मै  जब
खुले दिल से तुम्हारी बात करता हूँ

नहीं मुमकिन अगर इस दौर में मिलना
ख्यालों में तुम्हे अपने मै  मिलता हूँ

बहुत सी बात करता में हमेशा जब

तेरा जिक्र खुद -ब -खुद जुबान करता हूँ
.
जुदाई का लम्हा बढता गया अब तो

क्यूँ अब भी मुहब्बत इतनी करता हूँ

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 10:40am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति..

प्रयासरत रहें ! शुभकामनाएं 

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 11:02pm

अति सुन्दर प्रयास है ...
शिल्प के प्रति आग्रह प्रयास में और निखार लाएगा ...
मंच की उपादेयता को ग्रहण करें शिल्प आपको ग्रहण करेगा और बात बन जायेगी
शुभकामनाएं

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 1:38pm

आदरणीय हिमांशु जी ..बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by MAHIMA SHREE on September 20, 2013 at 8:45pm

बढ़िया आदरणीय बधाई आपको

Comment by रविकर on September 20, 2013 at 2:54pm

बहुत बढ़िया आदरणीय-
शुभकामनायें-

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 20, 2013 at 2:21pm

हिमांशु भाई प्रयास बहुत सुन्दर है प्रयासरत रहें भाव अच्छे हैं बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 7:57am

आदरणीय हिमांशु भाई , अच्छी रचना ,अच्छा प्रयास !!! आपको बधाई !!

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:40pm

बहुत बढ़िया ...क्या कहने :)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 19, 2013 at 11:03pm

बहुत सुंदर रचना , हार्दिक बधाई आदरणीय हिमांशु जी

Comment by annapurna bajpai on September 19, 2013 at 2:06pm

adarniy Himanshu ji sundar aur srthak gazal hetu badhai swikaren .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service