२१२२/११२२/२२
झूठ अब सामने लाया जाये
आइना सबको दिखाया जाये
तीरगी है तो उदासी कैसी
दीप फ़ौरन ही जलाया जाये
आज दिल में है बड़ी बेचैनी
साक़िया भर के पिलाया जाये
लाडली वो भी किसी मा की है
फिर बहू को न सताया जाये
तोड़ डाला जो खिलौना उसने
उसको इतना न रुलाया जाये
बात गर करनी मोहब्बत की तो
दिल से नफरत को मिटाया जाये
रोज बस कहते हवादिस आते
आशु लड़ना भी सिखाया जाये
डॉ आशुतोष मिश्र
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
ग़ज़ल पर दाद कुबूल फ़रमायें .. .
सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय। सादर।
आदरणीय वीनस जी ..आपसे लगातार कुछ न कुछ सीखने को मिलता है ...सतत प्रयास कर रहा हूँ ...ये सच है मैं बेटियों की जगह बहुओं कहना चाह रहा था पर बहर में मात्रिक क्रम को नहीं बना पा रहा था ..आपका मार्गदर्शन बस यूं ही मिलता रहे ..तो प्रयास को सदा ही नयी दिशा मिलती रहेगी ..आपकी सह्जता सरलता और बिद्व्ता को नमन करते हुए ...सादर
चद्रशेखर जी ..मेरी ग़ज़लों पर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हौसला मिला ..आपको हार्दिक धन्यवाद
आइना सबको दिखाया जाये
आज सच सबको बताया जाये........ मतला में आपने एक ही बात को दोनों पंक्ति में दुहरा दिया है, "आईना दिखाना" मुहावरा का अर्थ ही है "सच बताना"
दूसरा मिसरा पहले मिसरे की बात को आगे बढाता तो लुत्फ़ बढ़ जाता एक कोशिश देखें -
झूठ अब सामने लाया जाये
आइना सबको दिखाया जाये
तीरगी है तो उदासी कैसी
दीप फ़ौरन ही जलाया जाये ...... अच्छा कहा
आज दिल में है बड़ी बेचैनी
साकी जी भर के पिलाया जाये .... जी शब्द भर्ती का है ... साकिया भर के पिलाया जाये .. जबान का शेर हो जाता
उसको फौलादी बनाना है तो
उसको भूखा न सुलाया जाये........... भर्ती का शेर है
लाडली वो भी किसी मा की है
बेटियों को न सताया जाये................. बेटियों की जगह आप बहुओं कहना चाहते हैं
तोड़ डाला जो खिलौना उसने
उसको इतना न रुलाया जाये............. उम्दा शेर है ,, बहुत खूब
बात गर करनी मोहब्बत की तो
दिल से नफरत को मिटाया जाये ........ अच्छा कहा
रोज बस कहते हवादिश आते
आशु लड़ना भी सिखाया जाये ... सही लफ्ज़ हवादिस है
अंत में एक बात यह कि आपने ग़ज़ल लय से कही है न कि तक्तीअ से,,, और २१२२ २१२२ २२ पर कहने की कोशिश की है मगर चूंकी इस मात्र क्रम में कोई लय नहीं हैआप एक दूसरी ही बहर को पकड़ बैठे जिसमें शानदार लय है और आपकी पूरी ग़ज़ल उसी बहर पर हो गयी है और वो बहर ये है -
२१२२ ११२२ २२
पोस्ट में मात्रा को सही कर लीजिए
सादर
सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय। आभार, सादर।
आदरणीय आशुतोष सर प्रयास अच्छा हुआ बहुत ही बारीकी से आदरणीय श्री बागी भ्राताश्री जी ने ग़ज़ल पर टिपण्णी की है मुझे दो अशआर में तदाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है कृपया देख लें. प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें.
तोड़ डाला जो खिलौना उसने
उसको इतना न रुलाया जाये
रोज बस कहते हवादिश आते
आशु लड़ना भी सिखाया जाये
मेरी टिप्पणी को सम्मान देने हेतु आभार आदरणीय डॉ साहब और प्रिय संदीप जी ।
लाडली वो भी किसी मा की है
बेटियों को न सताया जाये
बहुत खूब ! दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ !
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने दाद कुबूले
आदरणीय गणेश बागी सर जी ने बहुत ही सुन्दर प्रातक्रिया दी है
उन्हें भी बहुत बहुत धन्यवाद
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