मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे
आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे
नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल
उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे
जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही
बैसे ही मुझ को जला देंगे ये तेरे जल्वे
हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से
दिल को अब लगता मिटा देंगे ये तेरे जल्वे
क्या तेरे दिल में है कोई न समझ पाया है
पर इशारों को हवा देंगे ये तेरे जल्वे
आज तो खुद भी फ़िदा अपनी अदाओं पर है
एक दिन तुझको रुला देंगे ये तेरे जल्वे
२१२२ २१२२ २२१२ २२
डॉ आशुतोष मिश्र
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय आशुतोष सर मैंने आपकी इससे कहीं बेहतर ग़ज़ल पढ़ी है, कई शेरों में तदाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है रवानगी में भी कमी लग रही है, खैर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आशु की तुम को नसीहत तुम मानो न मानो
उम्र ढलते सब भुला देंगे ये तेरे जल्वे -----------वाह ! बहुत उम्दा | प्रयास के लिए हार्दिक बधाई
आदरणीय वीनस जी ..आपकी पैनी नजर की दाद देनी पड़ेगी ..आप के सुझाव के अनुरूप मैं इस ग़ज़ल को फिर से देखूँगा और फिर से आपका मार्गदर्शन लूँगा ...आपसे सतत ही सीखने को मिल रहा है ...भविष्य में भी आपके ऐसी ही मार्गदर्शन और सहयोग की आकांक्षा है ..तहे दिल धन्यवाद के साथ
आदरणीय सुरेन्द्र जी ...आपके मार्गदर्शन के लिए तहे दिल धन्यवाद ..जलवे ही सही है ..बस यूं ही आशीर्वाद बनाए रखें और मार्गदर्शन करते रहे ..सादर प्रनाम के साथ
आदरणीय नीरज जी ..प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय अभिनव जी हौसला आफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..यूं ही स्नेह बनाए रखें ..सादर
आदरणीय गिरिराज जी ..आपके मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद ...सर मैंने सोचा न को पढ़ते समय ना जैसा उच्चारण होता है तो शायद इसका प्रयोग हो सकता है ..भविष्य में ध्यान रखूंगा ..न की जगह ना लिख सकते हैं की नहीं ....आपका मार्गदर्न चाहोंगा ..सादर प्रणाम के साथ
आदरणीनीया अन्नपूर्णा जी ..प्रोत्साहन के लिए हार्दिक बधाई ..
आदरणीय दरअस्ल आपने इस बहर की लय का अनुसरण नहीं किया अन्यथा आपको स्पष्ट हो जाता कि इस मात्रा क्रम में लय है ही नहीं इसलिए इसके करीबी दो रूप में लिखना अधिक उपयुक्त होगा
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
या
२१२२ ११२२ ११२२ ११२२ २२
अभी आपकी ग़ज़ल दूसरे मात्रा क्रम के करीब है बस् तक्तीअ करके थोडा बदलाव करना पड़ेगा
सादर
क्या तेरे दिल में समझ पाया न खुदा अब तक
पर मुझे सब कुछ बता देंगे ये तेरे जल्वे
डॉ आशु जी ...सुन्दर भाव लिए अच्छी गजल ..गिरिराज भाई जी ने जो इंगित किया गौर करेंगे
जलवे या जल्वे
...बधाई
भ्रमर ५
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