For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात की चांदनी मैं जो तू बे-नकाब हो जाए 
खुदा  का चाँद  भी फिर लाजबाव हो जाए 

.

तेरे गुलाबी होंठों पे जो गिर जाए शबनम 
बा-खुदा शबनम खुद शराब हो जाए 

.
तेरी उदासी से होती है सीने मैं चुभन 
तू जो हंस दे तो काँटा गुलाब हो जाए 

.

उम्र भर हाथों मैं लेकर पढता ही रहूँ 
तेरा चेहरा गर  कोई किताब हो जाए 

.
हुस्नवाले संवर सकती है शायरी मेरी 
कभी हमराह मेरे जो तेरा शबाब हो जाए  

 

-सचिन देव -
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1230

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 1:38pm

आपका अंदाज अच्छा लगा। भावपूर्ण ग़्ज़ल के लिए बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on September 25, 2013 at 1:22pm

बहुत बढ़िया :)

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 25, 2013 at 1:06pm

सचिन भाई कृपया ग़ज़ल की बहर से अवगत करायें ताकि कुछ कह सकूँ ?

Comment by Sachin Dev on September 25, 2013 at 1:03pm

आपका हार्दिक आभार रविकर जी ......

Comment by Sachin Dev on September 25, 2013 at 1:02pm

भाई अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी ... विचार देने के लिए हार्दिक आभार आपका 

Comment by Sachin Dev on September 25, 2013 at 1:01pm

परवीन जी आपकी बधाई सर माथे पर ..... आपका बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए ! 

Comment by Sachin Dev on September 25, 2013 at 1:00pm

डॉ अनुराग सैनी जी... प्रशंशा के लिए हार्दिक आभार आपका ! 

Comment by Sachin Dev on September 25, 2013 at 12:59pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी.... प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आपका 

Comment by रविकर on September 25, 2013 at 11:34am

बढ़िया गजल-
शुभकामनायें आदरणीय-

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 24, 2013 at 9:34pm

 एक अच्छी  गज़ल के लिये बधाई, सचिन भाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service