अनुभूति
( जीवन साथी नीरा जी को सस्नेह समर्पित )
अनंत्य सुखमय सौम्य संदेश लिए
भावमय भोर है ओढ़े छवि तुम्हारी,
पल-पल झंकृत, पथ-पथ ज्योतित
आनंदमय नाममात्र से तुम्हारे...
औ, अरुणित उत्कर्षक उष्मा !
संगिनी सुखमय प्राणदायक..!
प्रत्येक फूल के ओंठों पर
विकसित हँसी तुम्हारी,
स्नेहमय उन्माद नितांत
सोच तुम्हारी रंग देती है
स्वच्छंद फूलों के गालों को
गालों के गुलाल से तुम्हारे
दिन ढला, संध्या हुई गंभीर
मुंद-मुंद गईं अब रात की पलकें
तुम्हारी अंजित आँखों के झरोखों में,
जाने क्यूँ तुम कमरे के कोने में खड़ी
अँधेरे की कितनी परतों को ठेलती
डरी-डरी हो ढलती साँसो को सुनती
इतनी अपनी-सी रहती हो खयालों में
फिर क्यूँ खो देता हूँ तुमको सवालों में
सोचते-सोचते ख़यालों की खनकार में,
साँसे भी हैं संजीवित स्नेह से तुम्हारे,
फिर सपनों की परिणति से भयभीत
क्यूँ सहम जाते हैं मेरे भाव मनोतीत?
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-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाषित)
Comment
//प्रतीक को कितनी विह्वलता से आपने शब्द दिये हैं.
मानों, शब्दों के प्राण ले कर साकार हुआ चाहता है प्रयुक्त बिम्ब//
इस विभूषित प्रतिक्रिया को पढ़कर मन बहुत आनन्दित हुआ।
आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सौरभ भाई ।
सादर,
विजय निकोर
//लगता है इस समय आपकी रचनात्मकता बिल्कुल चरम पर है,
इतने गहन विषयों पर आलेख फिर... रचनाओं में इतना भावोत्कर्ष!//
इतनी सराहना से मुझको मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया वंदना जी।
सादर,
विजय निकोर
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया मीना जी।
सादर,
विजय निकोर
//प्रेम रस में भाव विहोर हो अपने जीवन साथी को समर्पित सुन्दर रचना//
रचना के भाव का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण जी।
सादर,
विजय निकोर
दिन ढला, संध्या हुई गंभीर
मुंद-मुंद गईं अब रात की पलकें
तुम्हारी अंजित आँखों के झरोखों में,
जाने क्यूँ तुम कमरे के कोने में खड़ी
अँधेरे की कितनी परतों को ठेलती
डरी-डरी हो
प्रतीक को कितनी विह्वलता से आपने शब्द दिये हैं. मानों, शब्दों के प्राण ले कर साकार हुआ चाहता है प्रयुक्त बिम्ब. बहुत-बहुत बधाई इस भाव-रचना के लिए.
सादर
//प्रेम रस में भीगी प्रत्येक पंक्ति हृदयस्पर्श कर रही है ....
अथाह प्रेम को समर्पित सुकोमल सुन्दर भाव भरी//
आपके इन उदार शब्दों ने मेरा मनोबल बढ़ाया है...
आपका हार्दिक आभार, आदरणीय अरून शर्मा जी।
आशा है स्नेह बना रहेगा।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया प्रियंका जी:
इतनी मधुर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
आशा है आपका सहयोग मिलता रहेगा।
सादर,
विजय
प्रणाम आदरणीय ..... रचना हेतु सादर बधाई स्वीकारें
प्रेम रस में भाव विहोर हो अपने जीवन साथी को समर्पित सुन्दर रचना में प्रदशित स्नेह भाव के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय
श्री विजय निकोरे जी | सादर
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