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सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२

ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३

श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४

सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५

सहज नहीं दिखते कभी,सबको ही भगवान् !
वही मनुज होता सफल ,जिसको जीवन ज्ञान !!६


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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 8:42pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हेमंत जी//सादर 

Comment by hemant sharma on September 27, 2013 at 8:36pm
बहुत ही सुन्दर व सार्थक दोहे आदरणीय बधाई.......
Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 8:33pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई वैद्य नाथ  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 8:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई ब्रिजेश जी //सादर 

Comment by बृजेश नीरज on September 27, 2013 at 8:27pm

बहुत ही सुन्दर! भाव कथ्य के हिसाब से उच्च श्रेणी के दोहे! आपको हार्दिक बधाई राम भाई!

Comment by Saarthi Baidyanath on September 27, 2013 at 8:26pm

क्या कहने .... 

सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार , 
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 7:47pm

अमूल्य सुझाव के लिए बहुत  बहुत  आभार आदरणीया  प्राची जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 7:46pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीय गिरिराज जी //सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 27, 2013 at 7:32pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

गहन गंभीर कथ्य को दोहों में प्रस्तुत करने के लिए बधाई 

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण! 
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२...............यहाँ ही को हो करें तो?

ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार ! ....... इसका अर्थ क्या है, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा 

इस सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2013 at 7:04pm

आदरणीय राम शिरो मणी भाई , सुदर दोहों की रचना के लिये बधाई !! `

कृपया ध्यान दे...

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