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गीत -- कण कण में बसी है माँ।

गीत --
कण कण में बसी है माँ।
.
उडती खुशबु रसोई की
नासिका में समाये
भोजन बना स्नेह भाव से
क्षुधा शांत कर जाय
प्रातः हो या साँझ की बेला
तुमसे ही सजी है माँ
कण कण में बसी है माँ।
.
संतान के ,सुख की खातिर
अपने स्वप्न मिटाये
पीर अपने मन की ,तुमने
घाव भी नहीं दिखाए
खुशियाँ ,घर के सभी कोने में
तुमने ही भरी है माँ
कण कण में बसी है माँ .
.
माँ ने , दुर्गम राहो पर भी
हमें चलना सिखाया
जीवन के हर मोड़ पर भी
ज्ञान  दीप जलाया
संबल बन कर ,हर मुश्किल में
साथ खडी है माँ
कण कण में बसी है माँ।
.
शांत निश्छल उच्च विचार
मन को खूब भाते
माँ से मिले संस्कार , हम
जीवन में अपनाते
जीवन की हर अनुभूति में
कस्तूरी सी घुली  माँ
कण कण में बसी है माँ।


-- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 9:10am

आदरणीया शशि जी!   मां है पवन पुरवार्इ........जिसने जीवन की ज्योति जलार्इ, सदा आधियों के पहले ही.....ममता की आंचल ओढ़ार्इ।  वाह..! वाह! गीत दिल को छू गया। हार्दिक बधाइ।  सादर,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2013 at 5:07pm

एक भाव भरें और प्रवाहयुक्त खुबसूरत गीत हेतु बधाई प्रेषित है आदरणीया शशी पुरवार जी ।  

Comment by coontee mukerji on October 2, 2013 at 2:33pm

शांत निश्छल उच्च विचार

मन को खूब भाते

माँ से मिले संस्कार , हम

जीवन में अपनाते

जीवन की हर अनुभूति में

कस्तूरी सी घुली  माँ

कण कण में बसी है................बहुत सुंदर.

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:42am

माँ की महिमा अपरम्पार है 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 2, 2013 at 9:31am

अति सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया शशि जी

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 2, 2013 at 9:26am

माँ पर बहुत सुंदर रचना...

सादर बधाई स्वीकारें आदरणीया शशि पूरवर जी....

Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 7:04am

माँ को समर्पित आपकी ये रचना बहुत सुन्दर है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by vijay nikore on October 2, 2013 at 4:59am

माँ को आदर देती इस रचना के लिए बधाई, आदरणीया शशि जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 10:59pm

मात्रि स्वरूप का सुन्दर चुत्रण किया है आपने , रचना के लिये बहुत बधाई !!

Comment by Jitender Kumar Jeet on October 1, 2013 at 10:36pm
आ. शशि पुरवार जी , खूबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

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