For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फासलों का यह किनारा और है। ……… गजल

आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है
.
चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
घर का बिखरा ये नजारा और है
.
या खुदा रहमत नहीं अब चाहिए
फासलों का ये किनारा और है
.
ख्वाहिशों को तोडा था तुमने कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है
.
हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है
.
भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है
.
जीत लेंगे मुश्किलों की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है

----- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi purwar on September 30, 2013 at 11:42am

saurabh ji tahe dil se abhaat -


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2013 at 11:43pm

ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें आदरणीया..

शुभ-शुभ

Comment by shashi purwar on September 26, 2013 at 11:01am

नमस्ते वीनस जी

बहुत बहुत धन्यवाद आपका ,हाँ आपका कथन सत्य है ,मैंने इन शब्दों को बदल दिया है ,परन्तु यहाँ बदलाव नहीं कर सकी ,यह गजल इस प्रकार है

आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है

चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
घर का बिखरा ये नजारा और है

या खुदा रहमत नहीं अब चाहिए
फासलों का ये किनारा और है

ख्वाहिशों को तुमने तोड़ा था कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है

हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है

भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है

जीत लेंगे मुश्किलों  की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है

----- शशि पुरवार
22 / 9 /13

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 2:28am

ख्वाहिशों को तोडा था तुमने कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है

.

.
भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है

वाह वा
आदरणीया अच्छी ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकारें

कुछ शब्दों पर आपको फिर से ध्यान देना होगा

हवा की आंधियां कहना ऐसा ही है जो हम कहें - गीला पानी, काला कोयला ... इससे बचना चाहिए

आपदाओं को बहर निभाने के लिए आपदों नहीं किया जा सकता

सादर

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 2:13pm

सुन्दर गजल के लिए बधाई आदरणीया

Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 11:55am
बहुत सारी गजलें पढ़ने को मिल रहीं है अब लग रहा है कि हमें भी गजल लिखना सीखना चाहिए ....
आदरणीय शशि जी हर एक शेर लाजवाब है बधाई स्वीकारें !
जीत लेंगे आपदो की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है !! बहुत खूब !!!
Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 11:38am

आदरणीय शशि पुरवार जी बेहद सुन्दर खूबसूरत ग़ज़ल सभी अशआर पसंद आये इस हेतु दिली दाद कुबूल फरमाएं.

खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से ??? यहाँ एक शब्द छूट गया है कृपया देख लें.

Comment by shashi purwar on September 24, 2013 at 10:58am

shijju ji धन्यवाद ,गजल की बहर  -- २१२२ २१२२ २१२  है

Comment by shashi purwar on September 24, 2013 at 10:56am

अनुराग जी , अनुपमा जी ,वंदना जी ,जीतेन्द्र जी , गिरिराज जी , राज लाली जी ,राजेश्कुमारी जी ,मीना जी , विजय जी सभी मित्रो ता तहे दिल से आभार आप सभी की उर्ज्व्सित करती हुई अनमोल  टिप्णी मेरे लिए अनमोल तोहफा है , स्नेह बनाये रखें।

Comment by vandana on September 24, 2013 at 7:14am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service