----- शशि पुरवार
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
saurabh ji tahe dil se abhaat -
ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें आदरणीया..
शुभ-शुभ
नमस्ते वीनस जी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ,हाँ आपका कथन सत्य है ,मैंने इन शब्दों को बदल दिया है ,परन्तु यहाँ बदलाव नहीं कर सकी ,यह गजल इस प्रकार है
----- शशि पुरवार
22 / 9 /13
ख्वाहिशों को तोडा था तुमने कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है
.
भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है
वाह वा
आदरणीया अच्छी ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकारें
कुछ शब्दों पर आपको फिर से ध्यान देना होगा
हवा की आंधियां कहना ऐसा ही है जो हम कहें - गीला पानी, काला कोयला ... इससे बचना चाहिए
आपदाओं को बहर निभाने के लिए आपदों नहीं किया जा सकता
सादर
सुन्दर गजल के लिए बधाई आदरणीया
आदरणीय शशि पुरवार जी बेहद सुन्दर खूबसूरत ग़ज़ल सभी अशआर पसंद आये इस हेतु दिली दाद कुबूल फरमाएं.
खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से ??? यहाँ एक शब्द छूट गया है कृपया देख लें.
shijju ji धन्यवाद ,गजल की बहर -- २१२२ २१२२ २१२ है
अनुराग जी , अनुपमा जी ,वंदना जी ,जीतेन्द्र जी , गिरिराज जी , राज लाली जी ,राजेश्कुमारी जी ,मीना जी , विजय जी सभी मित्रो ता तहे दिल से आभार आप सभी की उर्ज्व्सित करती हुई अनमोल टिप्णी मेरे लिए अनमोल तोहफा है , स्नेह बनाये रखें।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव
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