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हाथ काटे जा चुके हैं फिर तू आंखें लाल कर ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

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कोशिशों का अब कहीं नामों निशां रहता नहीं 

हाल अपना संग है वो ,जो कभी ढहता नहीं

हादसे कैसे भी हों कितने भी हों मंज़ूर सब

ख़ून अब बेजान आंखों से कभी बहता नहीं

मेरी क़िस्मत खोज कर के थक गयी मुझको वहाँ

जिन ठिकानो पर कभी मै भूल कर रहता नहीं

मुश्किलें खुद राह देंगीं रास्ते पर आ उतर  

ताल सड़ जाता है सुन ले, जो कभी बहता नहीं

हाथ काटे जा चुके हैं फिर तू आंखें लाल कर

आग सीने में अगर हो, चुप कभी सहता नहीं

मुश्किलों से इस क़दर तू आज रंजीदा न हो

कौन ऐसा सूर्य है , राहू जिसे गहता नही

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 10:45pm

आदरणीया महिमा श्री जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!!

Comment by MAHIMA SHREE on October 1, 2013 at 10:40pm

हादसे कैसे भी हों कितने भी हों मंज़ूर सब

ख़ून अब बेजान आंखों से कभी बहता नहीं..

 

मुश्किलों से इस क़दर तू आज रंजीदा न हो

कौन ऐसा सूर्य है , राहू जिसे गहता नही......वाह   बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी बहुत -२ बधाई आपको  

 

 

 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 10:26pm

आदरणीय वीनस भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!!

Comment by वीनस केसरी on October 1, 2013 at 10:03pm

हादसे कैसे भी हों कितने भी हों मंज़ूर सब

ख़ून अब बेजान आंखों से कभी बहता नहीं


आदरणीय इस शेर पर बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:42pm

आदरणीय संदीप भाई जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on October 1, 2013 at 8:33pm

मुश्किलों से इस क़दर तू आज रंजीदा न हो,

कौन ऐसा सूर्य है , राहू जिसे गहता नहीं; -- गहन अभिव्यक्ति आदरणीय.

बधाई..!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:32pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!


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Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:31pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!


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Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:29pm

आदरणय अनुराग भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!


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Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:28pm

आदरणीय राम भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!

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