१.
टेढ़ी मचिया
टिमटिमाता दिया
टूटी खटिया.
२.
वर्षा की बूँदें
रिसती हुई छत
गीली है फर्श.
३.
छीजती आस
बिखरते सपने
टूटा साहस.
४.
छोटी सी जेब
बढती महंगाई
भूखा है पेट.
५.
बूढ़ा छप्पर
दरकती दीवार
खंडित द्वार.
६.
ठंडा है चूल्हा
अस्त होता सूरज
छाया कोहरा.
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार! मेरे प्रयास को आपका आशीष मिला, ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है!
बढ़िया हाइकु रचे आपने आदरणीय बृजेश जी!
आदरणीय संजय 'हबीब' जी आपका हार्दिक आभार!
बहुत सुंदर हाईकु रचनाएँ आदरणीय ब्रजेश भाई जी....
सादर बधाई स्वीकारें....
आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार!
सुंदर हाइकु.... हार्दिक बधाई हो बृजेश जी....
आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!
अति उत्तम प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई, बृजेश भाईजी.
वाह !
आम आदमी की ज़िंदगी के कई पहलुओं पर सुन्दर हायकू रचे हैं आ० बृजेश जी..
हार्दिक बधाई
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