किरण से कुहासा बना कर चल पड़ी !
जिंदगी मुझे तमाशा बना कर चल पड़ी !
समझ नही आता अर्थ किसी को मेरा !
कैसी ये परिभाषा बना कर चल पड़ी !
पा लूँ अर्श को एक ही छलांग में !
कैसी ये अभिलाषा जगाकर चल पड़ी !
चंद दाद पाकर तसल्ली मिलती नही !
शोहरतों का प्यासा बनाकर चल पड़ी !
बड़ी हस्तियों में हो नाम शामिल मेरा !
मन में ये जिज्ञासा उठाकर चल पड़ी !
किरण से कुहासा बना कर चल पड़ी !
जिंदगी मुझे तमाशा बना कर चल पड़ी !
मौलिक व अप्रकाशित
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पा लूँ अर्श को एक ही छलांग में !
कैसी ये अभिलाषा जगाकर चल पड़ी !
चंद दाद पाकर तसल्ली मिलती नही !
शोहरतों का प्यासा बनाकर चल पड़ी !.... बढ़िया भाव है आदरणीय बधाई आपको
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