For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तलाश की महफिले तो तन्हाईयाँ मिली !

मुझको वफ़ा के बदले  बेवफायियाँ मिली !

 

जिक्रे चाहत पर सदा लब खामोश ही रहे!

मुझको फिर क्यों  इतनी रुश्वायियाँ मिली !

 

मेरे रकीबो को तो साथ उसका मिला !

मुझको उसकी सिर्फ परछाईयाँ मिली !

 

मनायेगा शायद मातम मेरी जुदाई का वो !

सुनने को उसके घर पे शहनाईयाँ मिली !

हुस्न की बदौलत फ़लक को पा  गया  है वो !

मुझको खामोश कब्र सी गहराईयाँ मिली !

 

उसकी तूफ़ान-ए- बेवफाई में  मिट गया  ‘सागर’!

और उसको पाक  प्यार  की पुरवाईयाँ मिली !

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2013 at 12:12pm

आपकी अबतक इस अंदाज़ की कई प्रस्तुतियाँ आ चुकी हैं.  इस रचना के भाव पक्ष के लिए धन्यवाद.

आपको आपकी रचनाओं पर उचित सलाहें भी मिलती रही हैं. आप अब उन सलाहों और सुझावों पर सार्थक ध्यान देना शुरू कीजिये. मंच पर होने का लाभ लें. शुभेच्छाएँ.

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 2:06am

बहुत खूब भाई लगे रहिये ..... आप एक सही जगह पर मौजूद हैं ... खुद को दिशा दीजिए ,,, मंजिल मिलेगी

Comment by Sushil.Joshi on October 9, 2013 at 5:11am

भावों को तरीके से संप्रेषित किया है आदरणीय अनुराग जी.... शिल्प का ज्ञान नहीं है तो चुप रहना ही बेहतर है लेकिन जिन जानकारों ने इस विषय में कहा है उनकी प्रतिक्रिया पर विचार अवश्य कीजिएगा.... बधाई इस कृति के लिए.....

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 8, 2013 at 11:14pm

आदरणीय अत्यंत सुन्दर प्रयास हुआ है पसंद आया कुछ कंटक त्रुटियाँ हैं कृपया देख लें इस प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें.

Comment by annapurna bajpai on October 8, 2013 at 11:04pm

सुंदर भाव शब्द संयोजन भी काफी अच्छा है बहुत बधाई आपको । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 8, 2013 at 9:52pm

आदरणीय डॉ अनुराग जी आपकी रचना का भाव पक्ष मर्म स्पर्शी है अगर ग़ज़ल की शिल्प का साथ हो तो सोने पे सुहागा हो जायेगा,  उम्मीद है जल्द आपकी ग़ज़ल भी पढ़ने को मिलेगी, इस रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on October 8, 2013 at 5:42pm

वाह कमाल का लेखन,,,,मुबारक हो,,,,,,,,

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 7, 2013 at 9:07pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , और आदरणीय अभिनव अरुण जी , आप बड़े भाई लोगो के उत्साह वर्धन से मेरा दिल बाग़ बाग़ हो जाता है ! रचना को पसंद करने के लिय आभार ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 7, 2013 at 8:25pm

आदरणीय अनुराग भाई , बहुत भाव पूर्ण , बहुत सुन्दर बातें कही है आपने , सुन्दर रचना के लिये बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 7:43pm

उसकी तूफ़ान-ए- बेवफाई में  मिट गया  ‘सागर’!

और उसको पाक  प्यार  की पुरवाईयाँ मिली !

                            ..सुन्दर कृति , हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ सैनी साहिब !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service