For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रत्युत्पन्नमति [ लघु-कथा ]

तनु और मान्या  दोनों  किचन में नाश्ते  की तैयारी कर रहे  थे  । रवि और अल्पना, तनु के  भैया -भाभी ,  ड्राइंग रूम में बैठे  टी. वी. देख रहे थे।  अचानक किचन से  छनाक की आवाज  सुनकर दोनों किचन की ओर  दौड़ पड़े । देखा टोमेटो केचप का नया बाटल फर्श पर चूर-चूर पड़ा है, सारा केचप बिखर गया था। तनु !!!!!  गरजता हुआ  रवि गुस्से से चिल्ला पड़ा - सम्हालकर काम नहीं कर सकती, पूरा केचप  बर्बाद कर दिया , कल ही लाया था 150 रु. में । घबराहट के  कारण तनु बोली " वो भैया मै मै --- उसके   आगे कुछ बोलने से  पहले ही अल्पना की छोटी बहन मान्या  की आवाज आई , नहीं जीजाजी इसमें तनु  की गलती नहीं है । बाटल  मेरे हाँथ से  फिसल गया था ढक्कन खोलते समय  । सॉरी जीजाजी  । सुनकर रवि और अल्पना  एक साथ ही बोल पड़े । अरे कोई बात नहीं मान्या  , क्या हुआ जो बाटल टूट गया, आज दूसरा ले आयेंगे ।  चलो नाश्ता लगाओ कहते हुए दोनों ड्राइंग रूम वापस चले गए । तनु  और मान्या  की निगाहें आपस में मिली। तनु आश्चर्य एवं कृतज्ञता  से और मान्या शरारत से एक दूसरे की ओर  देख रहे थे । तनु ने मुस्कुराकर  धीरे से कहा थैंक्यू  मान्या । और दोनों गले मिलकर धीरे से हंस पड़े । 
 
मौलिक एवं अप्रकाशित ----
कपीश चन्द्र श्रीवास्तव  [ दुर्ग ]

Views: 1187

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on October 7, 2013 at 12:43pm

एक ही गलती के लिए किसी को सजा तो किसी के लिए कोई बात नही ...... ऐसे दोहरे चरित्र वाले व्यक्ति के लिए क्या कहा जाए 

सुन्दर लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 12:29pm

आदरणीय सारथी  जी  लघु-कथा की तारीफ़ के लिए अनेकों  धन्यवाद  । 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 12:28pm

गिरिराज,  लघु-कथा की तारीफ़ के लिए धन्यवाद  । 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 12:24pm

    बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अभिनव अरुण जी । कथा में पात्रों के रिश्तों को स्पष्ट करने प्रयास किया था फिर भी  कुछ कमी रह गयी है। आगे गलतियाँ न हो इसका ध्यान रखूंगा । मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद  ।
Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 12:16pm

  आदरनीय  अरुण कुमार जी लघु-कथा  प्रत्युत्पन्नमति की प्रशंशा के लिए आपका आभारी हूँ । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । 
  
Comment by Saarthi Baidyanath on October 7, 2013 at 11:59am

भावपूर्ण लघु कथा... बढ़िया :) 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 9:26am

  आदरणीया  वन्दना   जी , कथा की प्रशंशा हेतु आपका बहुत बहुत धन्याद । रिश्तों को सम्हालने में हमें आज की नई  पीढ़ी को  हमारे  मार्गदर्शन की जरुरत है ।  
Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 9:14am

आदरणीया अन्नपूर्णा  जी , कथा की प्रशंशा हेतु आपका बहुत बहुत धन्याद ।  

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 9:01am

   आदरणीय बड़े भाई कथा जीवन संघर्ष  और   प्रत्युत्पन्नमति आपको अच्छी लगी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,। मैंने आपकी रचना  बड़े साहब की गाँधी जयंती पढ़ी बबडी सामयिक व्यंग है आजकल के औपचारिकता भरे  नौकरशाही का । बधाई स्वीकारें । 
 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 7, 2013 at 7:49am

आदरणीय बडे भाई , एक ही गलती के लिये दोहरे मानदंड का बहुत अच्छा पारिवारिक उदाहरण है आपकी लघु कथा !!!! बहुत बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service