बह्र— 2122/2122/2122/22
थाम के कांधे को हाथों में कलाई देना
याद आता है वो धड़कन का सुनाई देना
प्यार ने जिसके बना डाला है काफिर मुझको
ऐ खुदा उनको जमाने की खुदाई देना
तरबियत आंसू की कुछ ऐसे किया है हमने
अब तो मुश्किल है मेरे गम का दिखाई देना
याद आती है जुदाई की घड़ी जब हमको
तो शुरू होता है चीखों का सुनाई देना
बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों का सफाई देना
जब भी रूठा हूं मनाती है वो ऐसे मुझको
रोते बच्चे को किसी मां का मिठाई देना
हाल इसने यूं बना रक्खा है बंदी की तरह
कैद से अपने मेरे दिल को रिहाई देना
-शकील जमशेदपुरी
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*मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
ग़ज़ल पर पुनः आने के बाद एक शे'र में कमी लगी ग़ज़ल में दोष है.
बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों की गवाही देना .. इसके काफिया में यदि ई निकाल दें तो गवाह बचेगा जबकि अन्य काफिये में ऐसा नहीं हो रहा है.
दुरुस्त फरमाया आदरणीय गिरिराज भंडारी जी.......इस्लाह के लिए आभार।
आदरणीय . काफिया ---- कलाई , सुनाई , खुदाई मे आ ई निभाई गई है के वल ई नही है !!!! सादर !!!!
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी
लिखते वक्त मेरे मन में भी दुविधा थी। पर चूंकि ई की मात्रा निभ रही थी, इसलिए मुझे लगा कि ये सही हो। अगर इसमें कोई बारीकी हो तो मुझे जानकारी नहीं है। आपसे निवेदन है कि अगर आप इस्लाह कर सकें तो आभारी रहूंगा।
बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों की गवाही देना...आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ..जिज्ञासा बस एक बात थी काफिया में ई है पर इस शेर में ही का प्रयोग हुआ है ..अंत में ई ई आ रहा है सही भी लग रहा है ...लेकिन मन दुबिधा में है ..सादर बधाई के साथ
आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' साहब
आपको गजल पसंद आया इसके लिए आभार आपका। यदि शिल्प के स्तर पर कहीं कोई कमी हो तो कृप्या इस ओर जरूर ध्यान आकृष्ट कराएं। सादर।
आदरणीय शकील भाई बेहतरीन ग़ज़ल हुई है सभी अशआर पसंद आये खास इस शेर हेतु विशेषतौर से दाद कुबूल फरमाएं.
जब भी रूठा हूं मनाती है वो ऐसे मुझको
रोते बच्चे को किसी मां का मिठाई देना वाह वाह
आभार आपका आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।
आदरणीय शकील भाई , लाजवाब गज़ल कही है !!!! वाह वाह !!!! मतला भी बहुत शानदार है !!
थाम के कांधे को हाथों में कलाई देना
याद आता है वो धड़कन का सुनाई देना ---------- ढेरों दाद कुबूल करें !!!
आपको अशआर पसंद आए इसके लिए बहुत—बहुत आभार आपका आदरणीय अभिनव अरुण सर। कृपा दृष्टि बनाए रखिएगा।
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