अक्सर मै सोचा करता हूँ, ख़यालों में डूबकर|
तू न आती तो मेरी जिंदगी यूँ न रंगीन होती,
न कलम चलती, कोई कोरा कागज़ न रंग जाता|
मगर ये विधान, मेरे जीवन में तेरा खुबसूरत दखल,
खुबसूरत वक़्त, जो तूने बिताये मेरे साथ, कुछ पल|
आज भी सोचता है ये दिल, तसव्वुर में डूब कर|
अक्सर मै सोचा करता हूँ....................................
सुधि नहीं रहती है अब, मै तुझ से कहाँ आजाद हूँ|
कुछ लोग तरस खातें हैं मुझपे, कहतें हैं मै बरबाद हूँ|
मैं जो डूबा हुआ हूँ तुझ में, बिना चिंता फिक्र के,
तुम हो तो जहाँ अपना लगता है, लगता है मै आबाद हूँ|
अक्सर मै सोचा करता हूँ.......................................
Comment
मैं जो डूबा हुआ हूँ तुझ में, बिना चिंता फिक्र के,
तुम हो तो जहाँ अपना लगता है, लगता है मै आबाद हूँ|
bahut hi sunder bhav ...Ashish ji...bahut bahut badhai..
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