For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सॉरी सर (कहानी ) अंक - 2

सॉरी सर (कहानी )
लेखक - सतीश मापतपुरी
अंक - 2
---------------- गतांक से आगे ----------------------------------
इस छोटे से पत्र के समक्ष उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रामाणिक व्याख्या प्रस्तुत करने वाली अपनी हर पुस्तकें 
ओछी एवं छिछली लगने लगी थी.प्रो. सिन्हा चहलकदमी करते -करते एक कुर्सी पर थक कर निढाल हो गए.थोड़ी देर 
आँखें मूंद कर कुछ सोचते रहे,फिर जेब से वही पत्र निकाल कर आँखों के आगे फैला दिया.
           प्रो. भवेश चन्द्र सिन्हा मनोविज्ञान के कुछ इने -गिने प्रोफेसरों में से एक थे.अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय
सेमिनारों में उनके व्याख्यानों की भूरि-भूरि प्रशंसा हो चुकी थी.पत्र -पत्रिकाओं,जर्नलों आदि में उनके सम्बन्ध में
बहुत कुछ लिखा जा चुका था.आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रो. सिन्हा के अनेक टॉक प्रसारित हो चुके थे. ज्ञान,
प्रतिभा एवं विद्वता का तेज-पुंज उनके चेहरे पर स्पष्ट दृष्टिगोचर था.पचपन की वयस में भी चेहरे की कांति एवं
आभा यौवन का आभास दिलाती थी.प्रो.सिन्हा के व्यक्तित्व में कुछ ऐसी ख़ास बात थी कि लोग बरबस उनकी तरफ 
आकर्षित हो जाते थे.विषम से विषम परिस्थिति को भी सहज एवं स्वाभाविक ढंग से झेल लेना प्रो. सिन्हा की
विशेषता थी.अपनी जान से प्रिय अपनी पत्नी सोनाली सरकार की मौत को अपने इकलौते पुत्र राकेश के लिए
खामोशी से झेल गए थे प्रो.सिन्हा.
          उस दिन बी.ए. पार्ट-2 के क्लास में सामाजिक अभिवृतियों पर व्याख्यान देते हुए आगे की बेंच पर बैठी
एक लड़की को देख कर प्रो.सिन्हा बूरी तरह चौंक पड़े थे.वह लड़की अजीब नज़रों से अपलक उन्हें घूर रही थी.
फिर उस दिन प्रो.सिन्हा को बीच में ही अपना व्याख्यान स्थगित कर देना पड़ा था.मनोविज्ञान विभाग में आकर
भी प्रो.सिन्हा उसी लड़की के बारे में घंटो सोचते रहे.यदि इस लड़की के गाल पर माशा होता और उसके बाल
लम्बे होते तो वह बिल्कुल सोनाली दिखती,सोचते -सोचते बुदबुदा उठे प्रो. सिन्हा.अचानक उनकी नज़र दरवाजे
पर गयी  और उसी लड़की को पर्दा हटाकर अपनी तरफ देखते हुए देखकर प्रो.सिन्हा उछल पड़े.प्रो. सिन्हा कुछ कहते
इसके पहले ही वह लड़की जा चुकी थी.----------- कौन है यह लड़की?-------------- मुझे ऐसे क्यों देखती है?-------
-------- और एक दिन क्लास में प्रो.सिन्हा ने उस लड़की से उसका नाम पूछ दिया.------ "सोनाली" ------- सोनाली
सुनते ही प्रो. सकते में आ गए, अनायास उनके मुंह से निकल पड़ा-- "सोनाली सरकार?" (क्रमश:)
           ---------- शेष अगले अंक में --------------------

Views: 388

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on January 14, 2011 at 3:49pm

 आपने सदैव मेरी हौसला अफजाई की है गणेशजी, धन्यवाद.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 13, 2011 at 8:06pm
क्या बात है सतीश भईया, आप तो बहुत बढ़िया कहानी लिखते है , आप ऐसे ही लिखते रहे , आपमे कथ्य शिल्प की भी प्रतिभा है , जय हो !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service