बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम
फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२
इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे
आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे
चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे
जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे
हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं कर जायेंगे
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
- विशाल चर्चित
Comment
बहुत - बहुत शुक्रिया सरिता जी !!!!
आभार सुशील भाई...... वैसे ये एक गजल है.... मेरा हलफनामा नहीं.... इसलिये मरने का हकीकत में अभी कोई इरादा नहीं है ४० साल तक :)
आदरणीय विशाल भाई , !!!!! सुन्दर इश्किया गज़ल के लिये आपको बधाई !!!!!
बढ़िया व सराहनीय प्रयास ...:)
हार्दिक बधाई सुन्दर गजल के लिए
चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे........ अरे ऐसा मत करो आ0 विशाल भाई....... और भी रचनाएँ सुननी हैं आपसे अभी..... हा...हा..हा....
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति है विशाल भाई..... मक़ता बेहद सुंदर है.... बधाई इस प्रस्तुति के लिए.....
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