For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल : इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे

बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम

फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२


इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे


आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे


चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे


जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे


हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं कर जायेंगे


(मौलिक एवं अप्रकाशित)

- विशाल चर्चित

Views: 1031

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 10:41pm

बहुत - बहुत शुक्रिया सरिता जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 10:40pm

आभार सुशील भाई...... वैसे ये एक गजल है.... मेरा हलफनामा नहीं.... इसलिये मरने का हकीकत में अभी कोई इरादा नहीं है ४० साल तक :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 26, 2013 at 6:34pm

आदरणीय विशाल भाई ,  !!!!! सुन्दर इश्किया गज़ल के लिये आपको बधाई !!!!!

Comment by Saarthi Baidyanath on October 26, 2013 at 1:36pm

बढ़िया व सराहनीय प्रयास ...:)

Comment by Sarita Bhatia on October 26, 2013 at 12:10pm

हार्दिक बधाई सुन्दर गजल के लिए 

Comment by Sushil.Joshi on October 26, 2013 at 7:50am

चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे........ अरे ऐसा मत करो आ0 विशाल भाई....... और भी रचनाएँ सुननी हैं आपसे अभी..... हा...हा..हा....

बेहद खूबसूरत प्रस्तुति है विशाल भाई..... मक़ता बेहद सुंदर है.... बधाई इस प्रस्तुति के लिए.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service