रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैले नहीं कुकृत्य/
फैले नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें
पूजनीय हो नार,इसे सम्मान दिलायें
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण //
...................................................
..........मौलिक व अप्रकाशित...............
Comment
अपनी कुंडलियां के माध्यम से आपने सही संदेश दिया है परंतु केवल कानून ही उसका उपाचार नहीं हो सकता है, संस्कारों का एक बड़ा रोल यहां पर है । संस्कारच्युत होते ही तम के ये दूत मानव को जकड़ने लगते हैं, तथापि आपकी प्रस्तुति हेतु आपको बधाई, सादर
सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बधाई सरिता भाटिया जी | सादर
शुक्रिया गिरिराज जी
शुक्रिया सुशील भाई ,बिलकुल सही कहा आपने मैं मौलिक में परिवर्तन कर लेती हूँ ,मुझे भी आखिरी पंक्ति यही उचित लग रही थी ,मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया
आदरणीया सरिता जी , !!!! सुन्दर भाव , सुन्दर कुंडलिया के लिये बधाई !!! आदरणीय सुशील भाई की सलाह सही है , तदानुसार सुधार ज़रूर कर लें !!!!!
बहुत ही सुंदर भावों से सुसज्जित छंद है आ0 सरिता जी..... बधाई हो.....
कुछ त्रुटियाँ जो मुझे दिख रही हैं....
रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैलें नहीं कुकृत्य/.................. फैलें में अनुस्वार की कोई आव्श्यकता नहीं है....... 'फैले' ही काफी है...
फैलें नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें...............'फैले'
पूजनीय हो नार,सम्मान इसे दिलायें................. पूजनीय हो नार, इसे सम्मान दिलायें...... ऐसा करके गेयता ठीक हो जाएगी
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, पैदा नहीं हो रावण //................ अंतर्मन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण............ प्रयास करके देखिए... आपको स्वयं ही अंतर पता चल जाएगा......... बहुत बहुत धन्यवाद
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