For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैले नहीं कुकृत्य/
फैले नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें
पूजनीय हो नार,इसे सम्मान दिलायें
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण //

...................................................

..........मौलिक व अप्रकाशित...............

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 3:03pm

अपनी कुंडलियां के माध्‍यम से आपने सही संदेश दिया है परंतु केवल कानून ही उसका उपाचार नहीं हो सकता है, संस्‍कारों का एक बड़ा रोल यहां पर है । संस्‍कारच्‍युत होते ही तम के ये दूत मानव को जकड़ने लगते हैं, तथापि आपकी प्रस्‍तुति हेतु आपको बधाई, सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2013 at 7:08pm

सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बधाई सरिता भाटिया जी | सादर 

Comment by Sarita Bhatia on October 27, 2013 at 9:53am

शुक्रिया गिरिराज जी 

Comment by Sarita Bhatia on October 27, 2013 at 9:53am

शुक्रिया सुशील भाई ,बिलकुल सही कहा आपने मैं मौलिक में परिवर्तन कर लेती हूँ ,मुझे भी आखिरी पंक्ति यही उचित लग रही थी ,मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 27, 2013 at 8:11am

आदरणीया सरिता जी , !!!! सुन्दर भाव , सुन्दर कुंडलिया के लिये बधाई !!! आदरणीय सुशील भाई की सलाह सही है , तदानुसार सुधार ज़रूर कर लें !!!!!

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 6:25am

बहुत ही सुंदर भावों से सुसज्जित छंद है आ0 सरिता जी..... बधाई हो.....

कुछ त्रुटियाँ जो मुझे दिख रही हैं....

रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैलें नहीं कुकृत्य/.................. फैलें में अनुस्वार की कोई आव्श्यकता नहीं है....... 'फैले' ही काफी है...
फैलें नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें...............'फैले'
पूजनीय हो नार,सम्मान इसे दिलायें................. पूजनीय हो नार, इसे सम्मान दिलायें...... ऐसा करके गेयता ठीक हो जाएगी
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, पैदा नहीं हो रावण //................ अंतर्मन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण............ प्रयास करके देखिए... आपको स्वयं ही अंतर पता चल जाएगा......... बहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service