For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंजूर न था .........!

जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था
हरने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था
अजी करते भी तो क्या करते,
की आना उन्हें मंजूर न था इंतज़ार करना हमें मंजूर न था
बस जीते चले गए इसी तरह कुछ क्यूंकि
रोना हमें मंजूर न था,और हसना उन्हें मंजूर न था
हम तो कबसे बैठे ही थे उनका दामन थामने
पर क्या करे की हमारा साथ उन्हें मंजूर न था
मिलने की तो भरपूर छह थी,पर फिर वही किस्मत अपनी
की गिरना हमें मंजूर न था और उठाना उन्हें मंजूर न था
राहे तो हर पल मै दिखलाता रहा पर क्या कीजिएगा
की चलना उन्हें मंजूर न था और रुकना हमें मंजूर न था
सोचे की खुआबो ही में मिल जाये वो क्यूंकि जनाब
याद करना उन्हें मंजूर न था और भूलना हमें मंजूर न था
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
लो अब पूछियेगा की अब भी प्यार करते हो?
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Biresh kumar on June 7, 2010 at 1:05pm
ur comments r very precious for me
thanks to all!!!!!!!!!!!!!!!
Comment by asha pandey ojha on June 7, 2010 at 1:28am
bahut hee khub surat rachna ..नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न थाvery nice
Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 7:33pm
all the wrds are very heart touching of this poem....

Keep writing these kind of poems...
Comment by Biresh kumar on May 29, 2010 at 12:33am
thanks!!!!!!!!
Comment by Admin on May 28, 2010 at 9:39pm
लो अब पूछियेगा की अब भी प्यार करते हो?
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था

जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना भले आप को मंजूर हो या ना हो पर ये रचना हमे मंजूर है, बढ़िया लिखे है, पर्यास अच्छा है , ऐसे ही लिखते रहिये, धन्यबाद ,
Comment by Kanchan Pandey on May 28, 2010 at 9:29pm
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
Heart touching, bahut hi khubsurat rachna hai Biresh jee, very nice, thanks for this post.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 28, 2010 at 8:38pm
जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था,
हारने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था,

बहुत खूब बिरेश भाई, मारे है छ्क्का आपने , बढ़िया पर्यास किये है, जय हो,
Comment by satish mapatpuri on May 28, 2010 at 2:45pm
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था
बिरेश जी, बहुत ही अच्छा प्रयास है. बधाई .
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 28, 2010 at 1:31pm
जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था
हरने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था
अजी करते भी तो क्या करते,
की आना उन्हें मंजूर न था इंतज़ार करना हमें मंजूर न था
bahut khoob biresh bhai.....bahut khoob.....dil khush ho gaya aapka ye rachna padh kar......aisehi likhte rahe...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service