(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
आज की जनरेशन की यही ट्रेजेडी है..... , करारा व्यंग्य है , सशक्त और सन्देश परक आ.श्री बागी जी !
आ. बागी जी आधुनिकता पर करारा व्यंग कसा है आपने इस लघुकथा के माध्यम से हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
बिलकुल यथार्थ कहा है , बदले की भावना ही पुरुष पीडन का एक कारण है वरना ९० प्रतिशत तो सब मर्जी से चलता है
मुझे बहुत पसंद आई ये लघुकथा !
आदरणीय बागी जी ..आधुनिकता पर करारी चोट दर्शाती हुई ....आज की दुनिया को हर चीज अपने हिसाब से ही चाहिए ..नियम कानों भी सब उसके जैसे मुट्ठी में रखे है ...बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई
आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।
आपसे आशीर्वाद प्राप्त कर धन्य हुआ आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, बहुत बहुत आभार । स्नेह बनाये रखें, सादर ।
लघुकथा की आत्मा को साक्षात् करती आपकी टिप्प्णी उत्साहवर्धन करने में सक्षम है, बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ।
सराहना हेतु अतिशय आभार प्रिय शिज्जू शकूर जी ।
तारीफ़ हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब ।
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
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