For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी--(गीत )

गाँव पँहुचने पर मैय्या जब पूछेगी मेरा हाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

मेरी  चिरैया कितना उड़ती

पूछे जब उन आँखों से 

पलक ना झपके उत्तर ढूंढें  

तब तू जाना टाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

पूछेगी फिर बेला चमेली

कितनी चढ़ी ऊँचाई  पर

इस घर में नही कोई सीढ़ी 

छोटी है दीवाल सखी  

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

जब वो हंसती कितनी झरती  

मुक्तक मणियाँ मुखड़े से  

समझाना यहाँ मेरी झोली     

अब है मालामाल सखी  

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

पूछेगी उसकी अँखियों का

कजरा अब कितना खिलता  

खोल के तू अपने हाथों से

देना ये रुमाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी 

सुनके मेरी बातें अगर जो        

मैय्या का उर भर आये    

तुझको कसम है इस बहना की

लेना तू संभाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

********************************* 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1255

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:14pm

आदरणीय अखिलेश जी आपको गीत पसंद आया उसके भावों ने आपको प्रभावित किया ये रचना की सार्थकता हुई ,इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:12pm

नादिर खान भाई जी हृदय से शुक्रगुजार हूँ आपने गीत को दिल से महसूस किया उसके भावों का अनुमोदन किया ,मेरा लिखना सार्थक हुआ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:10pm

आदरणीय अरुण निगम जी आपको गीत पसंद आया,सराहना पाकर हर्षित हूँ बहुत- बहुत आभार आपका,मैंने अंतरा  की  पंक्तियाँ १७ ,१४ मात्राओं पर बाँधी हैं अतः उसी के अनुसार शब्द फिट करने का प्रयास किया है.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:06pm

अन्नपूर्णा जी गीत आपको पसंद आया इसके भाव आपके दिल तक पंहुचे लिखना मेरा सार्थक हुआ दिल से आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:04pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी आपने सही कहा ये भारतीय नारी के संस्कार ही हैं जो इतनी सहनशीलता,लोक लिहाज ,माँ बाप का प्यार उसके दिल में होता है जिसके कारण वो सब सहन करती हैं गीत का अनुमोदन करने हेतु आपका हार्दिक आभार.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:01pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी गीत आपको पसंद आया उसके मर्म का अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 10:59pm

मीना पाठक जी गीत के भाव आपके हृदय को छू सके मेरा लेखन सार्थक हुआ बहुत -बहुत आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 10:57pm

प्रिय गीतिका सही है आपकी बात ,जीवन में न जाने कितनी बहनों के अनुभवों को बटोर कर आज शब्दों का रूप दिया है,इसके भाव अपना पक्ष रखने में सक्षम हुए तो ये रचना सार्थक हुई दिल से आभारी हूँ.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 10:53pm

अरुण श्रीवास्तव जी गीत ने आपके दिल को प्रभावित किया मेरा लिखना सार्थक हुआ बहुत बहुत आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 10:51pm

आदरणीय लक्ष्मण जी गीत के भावों का अनुमोदन करने के लिए दिल से शुक्रिया,आप का कहना सही है गाँव में आज भी परिस्थति कम ही बदली है गाँव में ही क्यों शहरों में भी कोई भी लड़की माता पिता को दुःख देना नहीं चाहती उनको पता होता है कि किन सपनो के साथ बेटी का विवाह करते हैं उनके सपने ना टूटें इसलिए काफी हद तक एडजस्ट करने की कोशिश करती है ये उनके संस्कार ही तो हैं .बहुत बहुत आभार आपका.   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
11 seconds ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
13 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
25 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service