For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाले दिल जो छुपाने के काबिल न था ।
क्या कहूं मै सुनाने के काबिल न था ।

इस ज़माने ने मुझको नकारा नहीं
मै तो खुद ही ज़माने के काबिल न था ।

इस लिए वो मुझे आज़माते रहे ,
मै उन्हें आज़माने के काबिल न था ।

रंग तनहाइयों में ही भरने लगा ,
वो जो महफ़िल सजाने के काबिल न था ।  

बोझ रस्मों रिवाज़ों के कुछ भी न थे ,
पर उन्हे मै उठाने के काबिल न था ।

सूख कर दरिया वो राह में खो गया ,
जो सागर को पाने के काबिल न था ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 22, 2013 at 6:48am

सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई. बहर का अभ्यास करने के लिए बेसिक्स (तक्तीअ) वाला चैप्टर रेफेर करें ...उसके बाद निदा फाजली साहब या बशीर बद्र साहब की किन्ही भी 15 गजलों की तक्तीअ करने का प्रयास करें ... ग़ालिब और मीर पर ये न आजमाएं .. उस ज़माने के कहन में और आज में बड़ा फ़र्क है, उलझाव पैदा होगा.
सादर   

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:27pm

आदरणीय देवराज भाई बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:26pm

आदरणीय विश्वजीत जी बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:12pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:03pm

आदरणीय प्रबंधक जी आदरणीय अरुण जी आदरणीय आशुतोष जी
और आदरणीय भंडारी जी

बहर और वजन लिखना तो मुझे आता नही है पर मैंने मात्राएँ ठीक करने कि कोशिश
ज़रूर की हैं मै आपकी ग़ज़ल कक्षा बहुत बार गया हूँ पर वहाँ कि उर्दू मेरी समझ में नही आती
और वहाँ जो शेर उदाहरण में दिए हैं उन्ही में खोकर रह जाता हूँ हालत ये है वहाँ के सारे शेर
मुझे याद हो गए हैं पर मै कोशिश करूंगा कि बहार लिख पाऊँ ।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।
प्रणाम


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 5:37pm

नीरज भाई , बहुत अच्छी बातें कही है , शे र मे , पर मात्रा क्रम अलग अलग लगता है सभी मिसरो मे !!! बह्र लिख दें तो कुछ समझ मे आये !!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 21, 2013 at 12:27pm

नीरज जी सुंदर ग़ज़ल ..बहर के बारे में जैसा अरुण जी ने कहा लिखेंगे तो समझने में आसानी होगी ..सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 11:05am

नीरज भाई कृपया बह्र से अवगत करायें.

Comment by devraj on November 21, 2013 at 10:03am

मजा आ गया नीरज जी क्या लिखा है आपने 

Comment by Bishwajit yadav on November 20, 2013 at 10:38pm
नीरज जी बहुत सुंदर। जय हो।।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service