वर्जना के टूटते
प्रतिबन्ध नें-
उन्मुक्त, भावों को किया जब,
खिल उठीं
अस्तित्व की कलियाँ
सुरभि चहुँ ओर फ़ैली,
मन विहँस गाने लगा मल्हार...
...फिर गूँजी फिजाएं
जब सरकता चाँद पूनम
छत चढ़ा,
तारों नें झिलमिल
दीप उत्सव में जलाए,
प्राण प्रिय नें
हाथ थामा,
सिहरते पल नें किया शृंगार...
..फिर गूँजी फिजाएं
बधिर साँकल,
बंद खिड़की
ख्वाब की - घुटती सिसकती,
ले कहीं से
अंजुरी भर
हौसले की रश्मियों को,
जब खुली, पा नभ तलक विस्तार...
..फिर गूँजी फिजाएं
Comment
नवगीत आपको पसंद आया यह जान अच्छा लगा ..हार्दिक धन्यवाद आ० मीना पाठक जी
रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद आ० वन्दना जी
नवगीत के भावों पर आपकी सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद आ० संदीप पटेल जी
रचना के भावों की सराहना के लिए धन्यवाद आ० जीतेंद्र जी
आदरणीया राजेश कुमारी जी
प्रस्तुति आपको बार बार पढने को आमंत्रित करती लगी ..ये मेरे लिए परम संतोष की बात है
सादर धन्यवाद
प्रिय अरुण शर्मा अनंत जी
नवगीत के भाव प्रवाह माधुर्य पर आपके उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय सौरभ जी
नवगीत के प्रथम बंद की भावदशा की सराहना के लिए सादर धन्यवाद..
इस बार अलग शैली में नवगीत को बहुत लम्बी पंक्तियों में प्रस्तुत करने का एक प्रयोग किया है..
जिसे मैंने (२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ )X 3 की लय पर साधने का प्रयास किया है..
द्वितीय बंद का जो अंश आपने इंगित किया है आदरणीय उसमें गेयता आपको बाधित लगी..पर मैंने जैसे लिखा है मुझे निर्बाध लग रही है.... फिर भी आदरणीय आप जिन बातों को बहुत सूक्ष्मता से देख जाते हैं, मुझ जैसे एक सामान्य रचनाकार को वो आपके समझाने के बाद भी समझने में बहुत समय लगता है.. आपसे सादर अनुरोध है की वहां गेयता बाधित होने के कारण को कृपया स्पष्टतः कहें..( यदि शब्द समुच्चय के नज़रिए से सम के बाद सम और विषम के बाद विषम शब्दों को न रखा जाना कारण है ...तो आग्रह है एक बार पूरे बंद को २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ X3 में पढ़ें , यदि फिर भी बाधित लग रही है तो .... ) मैं अवश्य ही सुधार करने का प्रयत्न करती हूँ ...
और तीसरे बंद में //हम्म्म ...ये ब्बात ... :-)))))))))) // पर ....हाहाहा :)))
रचना की भाव दशा व एक नए प्रयोग पर आपके प्रोत्साहित करते अनुमोदन के लिए सादर धन्यवाद
अनुपम रचना हुई आदरणीया प्राची जी | बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
आदरनीया प्राची जी , हमेशा की तरह आपके रचना मनहोहक है , शब्दो का चयन ,सन्योजन बहुत बढ़िया है !!! आपको हार्दिक बधाई !!!
नवगीत के शब्द संयोजन को सराहने के लिए आभार आ० डॉ ० आशुतोष मिश्रा जी
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