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प्राण जिसमें है मरेगा ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122  2122 ( बिना रदीफ )

जो भरा है वो बहेगा   

रिक्तता है तो भरेगा

 

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा

 

कानों सुनके आँखों देखे

चुप भला कैसे रहेगा

 

लेखनी पे हो नज़र तो

वो नज़र से ही कहेगा

 

गर्त पूछे आदमी से

और कितना तू गिरेगा

 

जो ज़हर सा बोलता है

बस वही पीड़ा हरेगा

 

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा

ज़ोर मिल कर सब लगायें

देखिये  पर्वत हिलेगा

नेक - बद दोनों खड़े  है

सोचते हैं  क्या मिलेगा ?

  *****************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

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Comment

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 26, 2013 at 10:58pm

बहुत बढ़िया , बधाई छोटे भाई ॥

Comment by vijay nikore on November 26, 2013 at 7:20pm

//गर्त पूछे आदमी से

और कितना तू गिरेगा//

 

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by नादिर ख़ान on November 26, 2013 at 5:06pm

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा 

 

कानों सुनके आँखों देखे

चुप भला कैसे रहेगा

गर्त पूछे आदमी से

और कितना तू गिरेगा 

आदरणीय गिरिराज जी बड़ी सच्चाई  के साथ, गज़ल के माध्यम से बेहतरीन बात कही आपने,बहुत बधाई आपको  ...

 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2013 at 3:07pm

आदरणीय आशुतोष भाई , !!!!!!! गज़ल की सराहना और  शेरों की पसन्दगी के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2013 at 2:46pm

आदरणीय भाईसाब ..

जो ज़हर सा बोलता है

बस वही पीड़ा हरेगा.............दर्शन से ओतप्रोत ये शेर ..सौ फीसदी सच ..इसका अनुभव मैं बखूबी कर भी रहा हूँ.

 

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा............एक चिरन्तन सत्य .....छोटी बहर में कमाल की ग़ज़ल ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2013 at 2:27pm

आदरणीया मीना जी , !!!!!!!! गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by Meena Pathak on November 26, 2013 at 2:06pm

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा...... बहुत सही 

बहुत सुन्दर गज़ल हुई आदरणीय, बधाई कुबूल कीजिये | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2013 at 10:49am
आदरणीया राजेश कुमारी जी , गैरमुरद्दफ़ ग़ज़ल का प्रथम प्रयास पसन्द आना , मेरे लिये खुशी और उत्साह वर्धन का कारण है !!! सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2013 at 10:42am
आदरनीय जीतेन्द्र भाई , आपको गज़ल के कुछ शे र पसन्द आये , बड़ी खुशी हुई !! हौसला अफज़ाई के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2013 at 10:39am
आदरणीय बडे भाई गोपाल जी , गज़ल पर आपकी उपस्थिति ने गज़ल का मान बढ़ा दिया !!! गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ !!!!

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