For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"देखो-देखो दमयंती, तुम्हारे शहर के कारनामे!! कभी कोई अच्छी खबर भी आती है, रोज वही चोरी, डकैती ,अपहरण ...और एक तुम हो कि शादी के पचास साल बाद भी मेरा शहर मेरा शहर करती नहीं थकती हो अब देखो जरा चश्मा ठीक करके टीवी में क्या दिखा रहे हैं" कहते हुए गोपाल दास ने चुटकी ली।
"हाँ-हाँ जैसे तुम्हारे शहर की तो बड़ी अच्छी ख़बरें आती हैं रोज, क्या मैं देखती नहीं थोडा सब्र करो थोड़ी देर में ही तुम्हारे शहर के नाम के डंके बजेंगे" दादी के कहते ही सब बच्चे हँस पड़े और उनकी नजरें टीवी स्क्रीन पर गड़ गई।
साल के अंतिम सप्ताह में वार्षिक रिपोर्ट में सभी शहरों की वारदातें ,उपलब्धिया चल रही थी अतः उनके कौतुहल का ये रोज मर्रा का विषय था जो दादा-दादी के आदेशानुसार हिसाब भी रखते थे कि किसके शहर की आज अच्छी खबर आई है ।
तभी स्क्रीन पर दादा जी के शहर का नाम उभरा---- इस शहर में इस वर्ष ऐड के मरीजों की संख्या घट कर कुल इतनी रह गई है,दादा जी ने बच्चो से दृष्टि बचाकर दादी की तरफ गर्वीली मुस्कान के साथ देखा।
कुछ और शहरों के लेखा-जोखा दिखाने के बाद फिर दादा जी के शहर का नाम आया तो सबके कान खड़े हो गए ...अभी-अभी एक मुख्य सूचना मिली है कि इस शहर में नाबालिग के साथ बलात्कार की तीन दिनों में एक आठवीं वारदात को अंजाम दिया गया है। सुनते ही कमरे में सन्नाटा छ गया। तेरह वर्षीया गुड्डी नीची नजरे किये चुपचाप कमरे से बाहर आ गई।

****************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 910

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 3, 2013 at 9:54am

आजकल की सामयिक समस्याओं ने परिवार के साथ बैठकर थोड़ी सी खुशियों पर भी बुरा असर करना शुरू कर दिया है, न जाने और क्या होगा भविष्य में..? बस यहीं आकर निशब्द करती आपकी लघुकथा बहुत बढ़िया लगी, बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी

Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2013 at 11:37pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया //////

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 2, 2013 at 11:03pm

लघुकथा का अंत संदेशपरक है। बधाई माननीया!!, ऐड की टंकण त्रुटि चौंकाती है, सादर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 2, 2013 at 10:47pm

आदरणीया राजेश कुमारीजी.. थोड़ी रुटीनी कथा हो गयी. या आप ही कहें कि वो क्या कुछ है जिसकी कमी खाली-खाली सा एहसास करा रहा है.

आद.अन्नपूर्णा वाजपेयी की लघुकथा ज़रूरत के ऊपर लघुकथा के शिल्प आदि पर चर्चा हुई है.  .. :-))))

सादर

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 9:07pm

 आदरणीया इस पर आप वरिष्ठों को ही पहल करनी चाहिए. मेरे हाथ तंग हैं इस विषय पर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2013 at 8:50pm

ब्रिजेश जी कथा अच्छी लगी दिल से आभारी हूँ सुझाव स्वागत योग्य है. शुभस्य शीघ्रम आप पहल कर सकते हैं|सभी लाभान्वित होंगे|   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2013 at 8:47pm

प्रिय सरिता आपको कहानी पसंद आई हार्दिक आभार आपका. 

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 8:01pm

अच्छी कथा! आपको हार्दिक बधाई!

लघु कथा पर एक लेख की आवश्यकता है जिसमें शिल्प व अन्य पहलुओं पर चर्चा हो सके!

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 5:14pm

बहुत खूब दी ... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service