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प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?

प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?

यह जमाना हो गया बेदर्द क्यों है ?

है बिना दस्तक चला आता सदा जो

वो बना यूँ आज फिर हमदर्द क्यों है ?

छू रही है रूह मेरी आते जाते

यह तुम्हारी साँस इतनी सर्द क्यों है ?

अपनी यादों को समेटे जब गए हो

आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ?

प्यार पर करता जुल्म हर रोज है जो

वो समझता खुद को जाने मर्द क्यों है ?

तुम समझती हो मुहब्बत जिसको सरिता

वो बना तेरे लिए सरदर्द क्यों है ?

............मौलिक व अप्रकाशित ............

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Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 5:26pm

सरिता जी

आपके भाव मनोरम है i शिल्प के बारे में गुनीजनो के विचारों पर ध्यान देने का कष्ट करे i  

यह मंच  हम सबको सिखाता  है  i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 3, 2013 at 2:16pm

आदरणीय नादिर खान भाई , अब तक तो मै काफिया को ठीक समझ रहा था , पर आपके पूछ्ने से मै भी श्ंकित हो गया हूँ , मुझे तो अब गज़ल बिना काफिया के लग रही है ,  क्यों कि , दर्द क्यों है पूरा  रदीफ का हिस्सा हो गया है    !!!! जानकार की प्रतिक्रिया का इंतिज़ार करते हैं !!!!!

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2013 at 1:19pm

sundr bhaavon kee sundr gazal...ye sher 

अपनी यादों को समेटे जब गए हो

आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ? bahut sundr hai...haardik badhaaee

Comment by नादिर ख़ान on December 2, 2013 at 11:21pm
प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?
यह जमाना हो गया बेदर्द क्यों है ?

आदरणीया सरिता जी,बहुत, खूब बहुत उम्दा ....अच्छी गज़ल के लिये मुबारकबाद ।

अदरणीय गिरिराज जी आपने बहुत सही कहा। एक बात हम अपनी जानकारी के लिए आपसे पूछ रहे हैं । मतले के शेर मे
क़ाफ़िया दर्द ,बेदर्द लिया गया है इसलिये बाकी के शेर मेंकाफिया हमदर्द,सरदर्द तो ठीक है, पर क्या हम यहाँ क़ाफ़िया सर्द ,गर्द,मर्द use कर सकते हैं? कृपया हमारी जानकारी को पूर्ण करें ।
Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2013 at 11:09pm

सुन्दर प्रस्तुति  .....  बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सरिता जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 2, 2013 at 9:35pm

आदरणीया सरिता जी , गज़ल बहुत खूब सूरत कही है आपने , सभी शे र उम्दा हुये हैं !!!! शायद बह्र , 2122 , 2122 , 2122  है !!!! इसके अनुसार एक मिसरा बेबह्र हो रहा है ---प्यार पर कर/ ता जुल्म हर / रोज है जो  --- 2122  , 2212 , 2122 !!! बीच का रुक्न सुधार लीजियेगा !!!! अगर इसी बह्र मे गज़ल कही है तो !!! अच्छी गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

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