बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,
जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,
मौत से डर के लोग जीते हैं,
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय सारथी भाई जी आपकी टिपण्णी पा कर दिल खुश हो गया हार्दिक आभार आपका.
हार्दिक आभार भाई नीरज मिश्रा प्रेम जी
शुक्रिया निलेश जी
हार्दिक आभार हेमंत भाई जी
अनुज राम
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.//////////////////////भाई यहाँ कुछ कम समझ पाया मै .. काहे भाई कम काहे समझे आप स्पष्ट तो लिखा है .
हार्दिक आभार तपन जी
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर
हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है........ क्या बात है .. बहुत सुन्दर गज़ल हुई आ०अरुन जी बधाई स्वीकारें | सादर
बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है....बेजोड़ ,बस क्या कहने !..
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है........ नजाकत से लबरेज ...वाह अरुन साहिब ..कमाल की ग़ज़ल कही है ..! बहुत खूब
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