For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'-ऐब खुद में ....

ऐब खुद के ढूंढकर उनसे किनारा कर लिया,
उस जहाँ के वास्ते थोडा सहारा कर लिया.
...

एक पल पर्दा हटा, आँखें खुली बस एक पल,  
क्या ही था वो एक पल, क्या क्या नज़ारा कर लिया.
...

दर्द हद से बढ़ गया, लेनें लगा फिर जान जब,
दर्द हम जीने लगे उसको ही चारा कर लिया.
...

इक तरफ़ तो मौत थी औ इक तरफ़ बेइज्ज़ती,
और हम करतें भी क्या, मरना गवारा कर लिया.
...

वो हमारे दिल को तोड़ें, था हमें मंज़ूर कब,
हमने ही खुद दिल को अपने पारा पारा कर लिया.
...

एक तुम जो हर ख़ुशी के बीच थे पर खुश न थे,
एक हम थे ग़म में डूबे, पर गुज़ारा कर लिया.
...

उम्र अपनें साथ लाई हिचकिचाहट का हिज़ाब,
बचपनें में जी में आया तब इशारा कर लिया.
...

खेल हो बच्चों का जैसे, छोड़ दी यूँ सल्तनत,
गेरुए कपड़ों में गौतम ने गुज़ारा कर लिया.   
...............................................................
निलेश 'नूर'
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:13am

बहू बहुत आभार आदरणीय सौरभ सर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 10, 2013 at 11:39pm

बहुत खूब !

पहला शेर वाकई कमाल-धमाल हुआ है.  वाकई नज़ारा कर लिया. ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 7, 2013 at 6:43am

धन्यवाद शिज्जु जी, जितेन्द्र जी ...आप की दाद से हौसला मिला है ...
शुक्रिया आदरणीय वीनस जी .... शेर आप तक पहुंचा टी लिखना सफल हुआ ...आभार  

Comment by वीनस केसरी on December 7, 2013 at 1:20am

एक पल पर्दा हटा, आँखें खुली बस एक पल,  
क्या ही था वो एक पल, क्या क्या नज़ारा कर लिया.

बहुत खूब ,,, इस एक शेर के लिए ढेरो दाद ... सबसे अलग मिजाज का शेर हुआ है

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 6, 2013 at 9:19am

बहुत शानदार गजल, यह शेर खास पसंदीदा हुए दिली दाद कुबूल करें आदरणीय निलेश जी

दर्द हद से बढ़ गया, लेनें लगा फिर जान जब,
दर्द हम जीने लगे उसको ही चारा कर लिया.
.

एक तुम जो हर ख़ुशी के बीच थे पर खुश न थे,
एक हम थे ग़म में डूबे, पर गुज़ारा कर लिया...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 6, 2013 at 7:58am

//एक तुम जो हर ख़ुशी के बीच थे पर खुश न थे, 
एक हम थे ग़म में डूबे, पर गुज़ारा कर लिया.// वाह बहुत खूब आदरणीय निलेश जी

इस ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करें

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 6, 2013 at 7:53am

धन्यवाद आदरणीय आशुतोष जी. 
आदरणीय राम शिरोमणि जी "क्या ही था वो एक पल", क्या क्या नज़ारा कर लिया...बहुत बार जब कोई बात, कोई जलवा, कोई अनुभव जब शब्दातीत होता है तो यूँ कहा जाता है... "क्या बताएँ या क्या कहें कि क्या हुआ"" उसी को कहने का प्रयास है .... ये वो मेस्मराइजेशन की अवस्था है जिसमे नज़ारा करने वाला स्वयं उस इफ़ेक्ट से बाहर नहीं हुआ है .... जैसे कोई चमत्कार देखा हो या कोई अलौकिक अनुभव हुआ हो .....
बचपनें में जी में आया   ..... यहाँ सामान्य बोलचाल की भाषा को शाइरी से जोड़ने का प्रयास किया है ...उम्र बदने के साथ बचपन तो गया है ...बचपना भी चला गया ..यहाँ रेफरेंस बचपन नहीं ..बचपना है ..... हो सकता है मै बात को ठीक से नहीं कह पाया तभी आप को कुछ खटका है .... मंच के गुनीजनों से सीखते सीखते शायद ये कमीं भी पूरी हो जाएगी. ग़ज़ल पसंद करने हेतु आभार  

Comment by ram shiromani pathak on December 6, 2013 at 1:23am

आदरणीय निलेश जी,सुन्दर ग़ज़ल कही है बधाई स्वीकारें......

एक पल पर्दा हटा, आँखें खुली बस एक पल,  
क्या ही था वो एक पल, क्या क्या नज़ारा कर लिया.//////// यहाँ कुछ खटक रहा है 

उम्र अपनें साथ लाई हिचकिचाहट का हिज़ाब, 
बचपनें में जी में आया तब इशारा कर लिया////////////// यहाँ कुछ खटक रहा है 

निवेदन है कृपा कर मार्गदर्शन करें ///////सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 5, 2013 at 9:26pm

आदरणीय निलेश जी ..हर शेर कमाल का है ,,मेरी तरफ से हार्किक्बधाई ,,सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 5, 2013 at 5:53pm

धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी, बैद्यनाथ जी, सुशिल जी, गिरिराज जी, मीना जी, अरून शर्मा जी, विजय मिश्र जी ....आप सबके स्नेह से हिम्मत मिलती है ...
आभार      

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
22 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service