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खुशियों के हम दीप जलाएं

खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं  

हो हमसे कोई हृदय दुखी
वहाँ  प्रेम का बीज बो आयें
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं 

हो न कोई भूखा, ग़मगीन
हों सब रोजगारी व ज़हीन
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं 

निर्भय हो समाज में सभी जहाँ
बेटियों का हो सम्मान जहाँ  
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं

भाई हों राम लक्ष्मण जहाँ
ना हो सीता वनवास जहाँ   
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं

चीरें सीना वसुन्धरा का    
गुच्छे स्वर्ण बाली उगायें  
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं
 
मान करे बुजुर्गो का सभी    
हम-तुम ऐसी रीत चलायें  
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं

मैलिक/अप्रकाशित 

मीना पाठक

Views: 599

Comment

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Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 1:40pm

आदरणीय शिज्जू शकूर जी रचना सराहने हेतु सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 1:39pm

प्रिय राम शिरोमणि जी मार्गदर्शन के लिए सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 1:36pm

आ० कुंती दी रचना सराहने के लिए सादर आभार | लोगों का अब भी भरोसा है दी कि सोना वसुन्धरा के आँचल में ही है :)

Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 1:30pm

आदरणीय गिरिराज जी रचना पर उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु सादर आभार स्वीकार कीजिये 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 6, 2013 at 7:54am

//खुशियों के हम दीप जलाएं 
जग में उजियारा फैलाएं  // आदरणीया मीना जी बहुत अच्छे भाव हैं बधाई आपको

Comment by ram shiromani pathak on December 6, 2013 at 1:59am

सुन्दर प्रस्तुति  आदरणीया … हार्दिक बधाई आपको 

हो हमसे कोई हृदय दुखी 
वहाँ  प्रेम का बीज बो आयें ///////////कृपा कर इसे देख लें  ///////सादर 

Comment by coontee mukerji on December 6, 2013 at 12:58am

चीरें सीना वसुन्धरा का    
गुच्छे स्वर्ण बाली उगायें  
खुशियों के हम दीप जलाएं
जग में उजियारा फैलाएं.................क्या बात है मीना जी..हा..हा...मज़ा आ गया......लेकिन वसुंधरा सोना देते देते रह गयी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2013 at 8:54pm

आदरणीया मीना जी , सुन्दर सन्देश देती आपकी रचना के लिये आपको कोटिशः बधाई !!!!!

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