नई सुबह के स्वागत् में, हम वंदनवार लगायें।
रंग बिरंगे फूलों से, घर आंगन द्वार सजायें॥
नये वर्ष के अभिनंदन में, गीत नया हम गायें।
मंगल की सब करें कामना, मिलकर जश्न मनायें॥
फूल खिले हैं, बगिया महकी , हैं भँवरे मंडराये।
भ्रमर सरीखे हम भी झूमे , गुंजन करते जायें ॥
कुहू -कुहू जब कोयल कूके, चहुँदिश मस्ती छाये।
हम भी ऐसी बोली बोलें , मन सबका हर्षायें॥
छूने को आकाश ये पंछी , बड़ी दूर तक जायें।
अपनी बांहें फैलाकर हम, मन उड़ने का बनायें॥
चिड़ियों का कलरव प्यारा है, एक ही सुर में गायें।
पास चलें, चुपचाप चलें, स्वर हम समवेत मिलायें॥
पंछी जीना सिखलाते, हम, मन में उमंग जगायें।
छोटी सी जिंदगानी है, मिल-जुलकर मधुर बनायें॥
नया सूर्य है , वर्ष नया है, बहती ठंडी हवायें।
शुभ प्रभात की बेला में हम, सपने नये सजायें॥
धुंध, साथ में धूप खिली है, खुशबू भरी फिज़ायें।
द्वार, खिड़कियाँ सभी खोल दो, घर तक ये आ जायें॥
*************
सपरिवार सभी सदस्यों, पाठको के लिए यह नव वर्ष मंगलमय हो॥
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
विवेकानंद नगर, धमतरी ( छत्तीसगढ़ )
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया महिमा श्री , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार॥ ....... राधे- राधे ।
आदरणीय नीरज भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार॥ ....... सप्रेम राधे- राधे ।
वही सुबह है , और वही सूर्य, पर कहने सुनने में अच्छा लगता है ... नया सूर्य , नव प्रभात, नया वर्ष आदि आदि। हमारी मान्यता के अनुसार भी हर दिन एक् नया दिन और हर पल एक नया पल होता है ॥ हम और आप भी तो मजबूर हैं रोज नई तारीख बदलने के लिए, साल भर 1/1 से 31/12 तक लिखने के लिए॥.... सादर
आदरणीय शिज्जु भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार॥
आदरणीय लक्ष्मण भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार॥ ....... सप्रेम राधे- राधे ।
आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलमय हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार॥
प्रिय छोटे भाई , नया वर्ष पूरे परिवार के लिए मंगलमय हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
आदरणीय सुशील भाई , नया वर्ष आपके व परिवार के लिए मंगलमय हो॥ रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
अच्छे भाव पिरोय हैं, बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय अखिलेश भाई. नववर्ष कि शुभकामनायें और
धुंध, साथ में धूप खिली है, खुशबू भरी फिज़ायें।
द्वार, खिड़कियाँ सभी खोल दो, घर तक ये आ जायें
के लिये खास बधाइयाँ
नया सूर्य है , वर्ष नया है, बहती ठंडी हवायें।
शुभ प्रभात की बेला में हम, सपने नये सजायें॥
धुंध, साथ में धूप खिली है, खुशबू भरी फिज़ायें।
द्वार, खिड़कियाँ सभी खोल दो, घर तक ये आ जायें॥.......अति सुंदर.सदर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online