जब से उनका यहाँ आना जाना हुआ
दिल हमारा भी उनका दिवाना हुआ /
साथ तेरे का जो छूट जाना हुआ
तब से सबका यहाँ आना जाना हुआ /
माँग तेरी भरूं आ सितारों से मैं
ऐसा कह जो गया फिर न आना हुआ /
माँग सूनी हुई जो सितारों भरी
माथे की बिंदी छिनना बहाना हुआ /
राहतें अब कहाँ चैन दिल को कहाँ
मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ /
याद आती रही रात भर थी मुझे
भूल वो अब गया इक जमाना हुआ /
उसके आने की टूटी है उम्मीद अब
जब से गैरों के घर आना जाना हुआ /
लाडली ही रही बेटियाँ बाप की
लाड़ छूटे जो पति घर ठिकाना हुआ /
..............................................
........मौलिक व् अप्रकाशित........
Comment
आदरणीया सरिता जी अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई स्वीकारें.
बहुत उम्दा गजल आदरणीया सरिता जी,यह शेर खास पसंद हुआ हार्दिक बधाई स्वीकारें
राहतें अब कहाँ चैन दिल को कहाँ
मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ
वाह क्या बात है,,,,इस शानदार गज़ल के लिये सरिता जी आपको अनेकानेक मुबारकबाद,,,,,,,
इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । |
आदरणीय गिरिराज जी आपकी मार्गदर्शक टिप्पिनी हमेशा उत्साहित करती है हार्दिक आभार स्नेह बनाये रखें उचित सुधार कर लिया है
आदरणीया वंदना जी हार्दिक आभार
शुक्रिया कुंती जी
आदरणीया सरिता जी , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , बहुत सुन्दर भाव हैं ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ , ये मिसरा बेबह्र हो रहा है , इसे -- ज़ख़्म अब मत कुरेदो पुराना हुआ - अगर आप चाहें तो ऐसा किया जा सकता है या जैसा आप सोचें ॥
माँग तेरी भरूं आ सितारों से मैं
ऐसा कह जो गया फिर न आना हुआ /
माँग सूनी हुई जो सितारों भरी
माथे की बिंदी छिनना बहाना हुआ /
मार्मिक !!! आदरणीया सरिता जी
उसके आने की टूटी है उम्मीद अब
जब से गैरों के घर आना जाना हुआ / .....बहुत सुंदर
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