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कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं

1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2


कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं
सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /


समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया 

करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /


किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें 
हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /


मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब
मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /


भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /

 

कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना 
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/

मौलिक व् अप्रकाशित.............

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Comment by vandana on January 9, 2014 at 6:07am

भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं

सच कहा आदरणीया सरिता जी.... बहुत बढ़िया ग़ज़ल 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 12:36pm

आभार महिमा श्री जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 12:35pm

शुक्रिया मीना जी 

Comment by MAHIMA SHREE on January 7, 2014 at 8:24pm

भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /

 

कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना 
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/.....बेहद उम्दा आदरणीया सरिता जी .अनेकों बधाईयाँ/ सादर

Comment by Meena Pathak on January 7, 2014 at 1:28pm

बहुत सुन्दर गज़ल बधाई आप को 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:19am

आदरणीय ब्रहमचारी जी तह दिल से शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:18am

हार्दिक आभार अभिनव अरुण जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:18am

आदरणीया कुंती जी गजल को पसंद करने के लिए शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:16am

आदरणीय कवि राज जी हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on January 7, 2014 at 9:14am

गज़ल में बहुत ही अच्छे भाव हैं। बधाई।

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