For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति की शतरंज में

पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है

 

कोई पैदल अगर बचते बचाते विपक्षी के घर में घुस जाय

और सारे राज जान ले

तो उसे फौरन मार दिया जाता है

या फिर वो जो बनना चाहे बना दिया जाता है

 

ऊँट बेचारा जो वास्तव में हमेशा सीधा चलता है

उसे तिरछा चलना और तिरछा मारना सिखा दिया जाता है

 

हाथी को सिखा दिया जाता है दाएँ बाएँ चलना

और जो भी रास्ते में आए उसे कुचल देना

 

राजनीति की शतरंज में

सबसे खतरनाक घोड़ा होता है

क्योंकि घोड़े को सिखाया जाता है कूद कूद कर मारना

इसके लिए घोड़े को दिया जाता है विशेषाधिकार

ढाई घर चलने का

 

विपक्षी वजीर जैसे ही कुछ करने की कोशिश करता है

घोड़े को बाहर निकाला जाता है

और बेचारा वजीर या तो डर के मारे वापस लौट जाता है

या चुपचाप जहाँ है वहीं पड़ा रहता है

 

राजनीति की शतरंज के मँझे हुए खिलाड़ी

घोड़े का सही इस्तेमाल करना जानते हैं

 

राजनीति की शतरंज में

राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं

लेकिन राजा कभी नहीं मरता

उसकी केवल मात होती है

और वो फिर से खेलने लगता है

अगली बार जीतने के लिए

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 4, 2014 at 5:59pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई जी जिस तरह से आपने शतरंज को ध्यान में रख कर ये रचना रची है वह काबिले तारीफ है यथार्थ दर्शाती रचना हेतु बहुत बहतु बधाई स्वीकारें.

Comment by vandana on January 4, 2014 at 5:40am

"पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है............... " 

सच है राजतंत्र हो या लोकतंत्र आम आदमी की यही स्थिति रहती है और घोड़ा ढाई घर चलने का अधिकार लेकर भी राजा के समान विशेषाधिकार नहीं पाता 

समाज की व्यवस्था ,राजनीति का बहुत बढ़िया चित्रण शतरंज के खेल के माध्यम से ....बहुत बहुत बधाई आदरणीय  

Comment by S. C. Brahmachari on January 3, 2014 at 9:30pm
खूब जमाई है शतरंज आपने .... क्या खूब कहा है ....राजा कभी नहीं मरता, उसकी केवल मात होती है, और वो फिर से खेलने लगता है। ~~~~~ किन्तु पैदल जब खड़ा हो जाता है तो वह नए इतिहास की रचना करता नज़र आता है । शतरंज के मोहरों की राजनीतिक चालों का अच्छा चित्रण किया है आपने ..... बधाई !
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2014 at 8:20pm

वाह वाह वाह,,,,आदरणीय,,,,,क्या कमाल की शतरंज ,,,,बस आनन्द आ गया,,,,,,राजनीति का बिल्कुल सही चित्रण किया है आपने,,,आपको इस हेतु,,,,,नमन,,,,,और बहुत बहुत बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2014 at 6:00pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , शतरंज और राजनीति का बहुत खूबसूरती से ताल मेल बिठाया है आपने , आप पनी बात कहने मे पूर्ण रूप से सफल रहे हैं !! रचना के लिये आपको बहुत बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on January 3, 2014 at 4:32pm

राजनीति की शतरंज में

पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है..........बहुत खूब लिखे हैं आदरणीय. बहुत बहुत बधाई.सादर

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 3, 2014 at 3:11pm

शतरंज के खेल में मोहरों की चाल  और राजनीति के  शतरंजी खेल में शह और मात की  तुलना बड़ी चतुराई से की है, हार्दिक बधाई धर्मेंद्र भाई ॥  शतरंज के खेल  में प्यादा मंत्री बन सकता है लेकिन राजनीति के  शतरंज में चाल गलत हुई तो मंत्री / राजा की स्थिति प्यादे से भी बद्तर हो जाती है और भ्रष्ट चाल से  जेल की हवा भी खानी पड़ती  है। नव वर्ष की शुभ कामनाओं  के साथ सप्रेम राधे- राधे ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service