For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं

1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2


कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं
सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /


समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया 

करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /


किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें 
हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /


मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब
मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /


भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /

 

कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना 
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/

मौलिक व् अप्रकाशित.............

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vandana on January 9, 2014 at 6:07am

भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं

सच कहा आदरणीया सरिता जी.... बहुत बढ़िया ग़ज़ल 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 12:36pm

आभार महिमा श्री जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 12:35pm

शुक्रिया मीना जी 

Comment by MAHIMA SHREE on January 7, 2014 at 8:24pm

भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /

 

कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना 
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/.....बेहद उम्दा आदरणीया सरिता जी .अनेकों बधाईयाँ/ सादर

Comment by Meena Pathak on January 7, 2014 at 1:28pm

बहुत सुन्दर गज़ल बधाई आप को 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:19am

आदरणीय ब्रहमचारी जी तह दिल से शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:18am

हार्दिक आभार अभिनव अरुण जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:18am

आदरणीया कुंती जी गजल को पसंद करने के लिए शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 9:16am

आदरणीय कवि राज जी हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on January 7, 2014 at 9:14am

गज़ल में बहुत ही अच्छे भाव हैं। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service