Comment
आदरणीय अभिनव अरुण भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , हर शेअर बहुत सुन्दर , प्रभावी हैं , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
अभिनव अरुण जी बहुत खूब कहा |
पहली दो पंक्तियाँ इस रचना की जान लगीं |सच की ओर जाने का रास्ता ऐसा ही होता है, फिर भी चलते ही रहना है, एक दिन कई लोग साथ चलने लगेंगे | एक अशआर है -
हम तो तन्हा ही चले थे जानिबे मंजिल मगर |
हमसफ़र मिलते गये और कारवाँ बनता गया | |
श्रद्धेय संपादक महोदय , आपका आशीर्वाद नूतन वर्ष में नयी ऊर्जा दे रहा है। हर्षित हूँ। आपका स्नेहसिक्त मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे ईश्वर से यही प्रार्थना है !! सादर प्रणाम !!
आदरणीया सरिता भाटिया जी दिली शुक्रिया आपका इस प्रोत्साहन के लिए !
//आंसू की दो बूँदें टपकी पन्नो पर ,
मैंने अपने किस्से का उन्वान किया |// इस शेअर की बुलन्दी तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है - वाह वाह वाह !
//सोने की अपनी अपनी लंकाएं गढ़ ,
हमने ख़ुद में रावण को मेहमान किया | // लाजवाब शेअर !!
इस रौशन कलाम के लिए हृदयतल से आपको कोटिश: बधाई आ० भाई अरुण जी.
बहुत उम्दा
देश निकाला देकर सारे पेड़ों को ,
हमने अपने शहरों को वीरान किया बहुत सुन्दर
हार्दिक बधाई आदरणीय अभिनव अरुणजी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online