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तिश्नगी में न सराबों में है
ताब जो मेरे इरादों में है
चहचहाते हुये पंछी ये कहें
ज़िन्दगी अब भी खराबों में है
ध्यान से पहले सुनो फिर समझो
क्या हकीकत मेरे दावों में है
बादलों की ये शरारत है जो
चाँद का नूर हिजाबों में है
अब तलक तेरी ज़ुबाँ पे थी वो
बात अब मेरे सवालों में है
काम आयेगी अकीदत आखिर
ऐसी तासीर दुआओं में है
ताब= शक्ति, सराब= मरीचिका, खराबा= खण्डहर
तासीर= असर, अकीदत= विश्वास
-मौलिक तथा अप्रकाशित
Comment
बहुत खुबसूरत गज़ल भाई सिज्जू जी // हार्दिक बधाई आपको
तिश्नगी में न सराबों में है
ताब जो मेरे इरादों में है
चहचहाते हुये पंछी ये कहें
ज़िन्दगी अब भी खराबों में है...वाह वाह ..क्या बात है ....हार्दिक बधाई आ. शिज्जू जी खुबसूरत गज़ल पर आपको
बेहतरीन गजल हुयी आदरणीय शिज्जू जी, उर्दू शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने से हम जैसे पाठकों को सरलता हो जाती है यह शेर बहुत पसंद हुआ, दाद कुबूल कीजिये
काम आयेगी अकीदत आखिर
ऐसी तासीर दुआओं में है
आदरणीय शुज्जू जी ..उर्दू के तमाम नए शब्दों से रूबरू होने का मौका मिला और उनके प्रयोग को सीखा..
बादलों की ये शरारत है जो
चाँद का नूर हिजाबों में है बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया ..तहे दिल बधाई के साथ ..सादर
आदरणीय शिज्जू भाई , लाजवाब ग़ज़ल हुई है , आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ॥
बादलों की ये शरारत है जो
चाँद का नूर हिजाबों में है ----------- वाह वाह भाई जी बहुत सुन्दर शेअर कहे , बधाई ॥
काम आयेगी अकीदत आखिर
ऐसी तासीर दुआओं में है..........wah sir ji wah wah
आदरणीया कुन्ती जी रचना को मान देने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय अभिनवजी आपका तहेदिल से शुक्रिया
आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार
बादलों की ये शरारत है जो
चाँद का नूर हिजाबों में है....बहुत सुंदर
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