औरत और नदी
………
औरत जब करती है
अपने अस्तित्व की तलाश और
बनाना चाहती है
अपनी स्वतंत्र राह -
पर्वत से बाहर
उतरकर
समतल मैदानों में .
उसकी यात्रा शुरू होती है
पत्थरों के बीच से
दुराग्रही पत्थरों को काटकर
वह बनाती है घाटियाँ
आगे बढ़ने के लिए
पर्वत उसे रखना चाहता है कैद
अपनी बलिष्ठ भुजाओं में
पहना कर अपने अभिमान की बेड़ियाँ,
खड़े करता है,
कदम दर कदम अवरोध .
उफनती , फुफकारती , लहराती
अवरोधों को जब मिटाती है औरत
कहलाती है उच्छृन्खल.
औरत जब तोड़ती है तटबंध
करती है विस्तार
अपने पाटों का
अपने आस पास के परिवेश को
बना देती है उर्वरा
चारो और खिल उठता है नया जीवन
वह बन जाती है पूजनीया
कहलाती है गंगा ..
... नीरज कुमार नीर ..
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
एक सात्विक रचना के लिए हार्दिक बधाई, नीरजभाईजी.
शुभ-शुभ
आदरणीय नीरज जी,बहुत सुंदर रचना// हार्दिक बधाई आपको
पर्वत उसे रखना चाहता है कैद
अपनी बलिष्ठ भुजाओं में
पहना कर अपने अभिमान की बेड़ियाँ,
खड़े करता है,
कदम दर कदम अवरोध .
उफनती , फुफकारती , लहराती
अवरोधों को जब मिटाती है औरत
कहलाती है उच्छृन्खल.
औरत जब तोड़ती है तटबंध
करती है विस्तार
अपने पाटों का
अपने आस पास के परिवेश को
बना देती है उर्वरा
चारो और खिल उठता है नया जीवन
वह बन जाती है पूजनीया
भावपूर्ण :-)
बहुत भावपूर्ण व् सशक्त रचना , बधाई आदरणीय नीरज जी
औरत जब तोड़ती है तटबंध
करती है विस्तार
अपने पाटों का
अपने आस पास के परिवेश को
बना देती है उर्वरा
चारो और खिल उठता है नया जीवन
वह बन जाती है पूजनीया
कहलाती है गंगा ..वाह कमाल की रचना ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई ..महान और पूजनीय वही बनते हैं जो स्वम् को अपार कष्ट देकर दूसरों के जीवन में खुशियों के फूल खिला देते है
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब आपका दिल से आभार ..
आदरणीया कुंती मुख़र्जी जी रचना को पसंद करने एवं सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार ..
आदरणीय अभिनव अरुण जी आपकी प्रोत्साहित करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार .
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद
हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी ..
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online