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औरत और नदी

………

औरत जब करती है

अपने अस्तित्व की तलाश और

बनाना चाहती है

अपनी स्वतंत्र राह -

पर्वत  से बाहर

उतरकर

समतल मैदानों में .

उसकी यात्रा शुरू होती है

पत्थरों के बीच से

दुराग्रही पत्थरों को काटकर

वह बनाती है घाटियाँ

आगे बढ़ने के लिए

पर्वत उसे रखना चाहता है कैद

अपनी बलिष्ठ भुजाओं में

पहना कर अपने अभिमान की बेड़ियाँ,

खड़े करता है,

कदम दर कदम अवरोध .

उफनती , फुफकारती , लहराती

अवरोधों को जब मिटाती है औरत

कहलाती है उच्छृन्खल.

औरत जब तोड़ती है तटबंध

करती है विस्तार

अपने पाटों का 

अपने आस पास के परिवेश को

बना देती है उर्वरा

चारो और खिल उठता है नया जीवन

वह बन जाती है पूजनीया

कहलाती है गंगा ..

... नीरज कुमार नीर ..

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 15, 2014 at 12:35am

एक सात्विक रचना के लिए हार्दिक बधाई, नीरजभाईजी.

शुभ-शुभ

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 10:10pm

 आदरणीय नीरज जी,बहुत सुंदर रचना// हार्दिक बधाई आपको   

Comment by sarika choudhary on January 14, 2014 at 1:25pm

पर्वत उसे रखना चाहता है कैद

अपनी बलिष्ठ भुजाओं में

पहना कर अपने अभिमान की बेड़ियाँ,

खड़े करता है,

कदम दर कदम अवरोध .

उफनती , फुफकारती , लहराती

अवरोधों को जब मिटाती है औरत

कहलाती है उच्छृन्खल.

औरत जब तोड़ती है तटबंध

करती है विस्तार

अपने पाटों का 

अपने आस पास के परिवेश को

बना देती है उर्वरा

चारो और खिल उठता है नया जीवन

वह बन जाती है पूजनीया

भावपूर्ण  :-)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 13, 2014 at 9:34am

बहुत  भावपूर्ण  व् सशक्त रचना , बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 12, 2014 at 5:22pm

औरत जब तोड़ती है तटबंध

करती है विस्तार

अपने पाटों का 

अपने आस पास के परिवेश को

बना देती है उर्वरा

चारो और खिल उठता है नया जीवन

वह बन जाती है पूजनीया

कहलाती है गंगा ..वाह कमाल की रचना ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई ..महान और पूजनीय वही बनते हैं जो स्वम् को अपार कष्ट देकर दूसरों के जीवन में खुशियों के फूल खिला देते है 

Comment by Neeraj Neer on January 12, 2014 at 9:42am

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब आपका दिल से आभार .. 

Comment by Neeraj Neer on January 12, 2014 at 9:41am

आदरणीया कुंती मुख़र्जी जी रचना को पसंद करने एवं सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on January 12, 2014 at 9:40am

आदरणीय अभिनव अरुण जी आपकी प्रोत्साहित करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार . 

Comment by Neeraj Neer on January 12, 2014 at 9:38am

आदरणीय श्याम  नारायण वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Neeraj Neer on January 12, 2014 at 9:38am

हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी ..

कृपया ध्यान दे...

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