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१-मूक भाषा

उनसे बात करने के लिए
शब्दों कि आवश्यकता नहीं
पता है क्यूँ ?मेरा
सन्देश वाहक "मौन" है//

२-कोशिश

आज फिर से वो पकड़ा गया
कुछ नया करने कि चोर कोशिश में //

३-चैन कि नींद

शायद इस दुनियां से ऊब गया था
तभी तो
बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //

४-ऐसा भी

बड़े अज़ीब लोग है
पीट रहे हैं उसे
और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //

५-नाकाम कोशिश

फिर से वही नाकाम कोशिश
आईने के सामने खड़े होकर
उम्र को खीचकर लंबा करने की//
***********************************
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

Views: 540

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:28am

 बहुत बहुत आभार आदरणीया सावित्री जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:27am

आपसे सहमत हूँ,अमूल्य सुझाव हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई बृजेश जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुण शर्मा  जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गुमनाम  जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:25am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी .....  सादर  

Comment by Savitri Rathore on January 16, 2014 at 10:01pm

सुन्दर क्षणिकाएँ रामशिरोमणि जी,बधाई !

Comment by बृजेश नीरज on January 16, 2014 at 6:37pm

राम भाई, अतुकांत पर आप प्रयासरत हैं, यह देखकर सुखद लगता है.

पहले तो 'कि' को 'की' करिए.

इन रचनाओं पर आप उस तरह काम नहीं करते जिस तरह दोहों पर करते हैं.

इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 16, 2014 at 1:38pm

अनुज राम भाई बेहद सुन्दर क्षणिकाएं रची हैं आपने बधाई आपको

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 15, 2014 at 9:42pm

शायद इस दुनियां से ऊब गया था तभी तो बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //

४-ऐसा भी

बड़े अज़ीब लोग है पीट रहे हैं उसे और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //

५-नाकाम कोशिश

फिर से वही नाकाम कोशिश आईने के सामने खड़े होकर उम्र को खीचकर लंबा करने की//

वाह बहुत खूब श्रीमान सच मजा आ गया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2014 at 8:54pm

आदरनीय राम भाई , सुन्दर क्षणिकायें , आपको बहुत बहुत बधाई ॥

फिर से वही नाकाम कोशिश
आईने के सामने खड़े होकर
उम्र को खीचकर लंबा करने की//  बहुत बढ़िया .......

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