उनके आते ही यहाँ,खिले ह्रदय में फूल!
कोयल भी गानें लगी,पवन हुआ अनुकूल!!
मंद मंद चलने लगी,देखो प्रेम बयार!
कानों में आ कह रही,कर लो थोड़ा प्यार!!
अधरों के पट खोलकर,की है ऐसी बात !!
शब्द शब्द में बासुँरी,फिर मधुमय बरसात!!
कह न सका जब मैं उन्हें,तुम हो मन के मीत!
शायद तब से कवि बना,लिख लिख गाता गीत!!
फिर से मै घायल हुआ,पता नहीं वह कौन!
मुझे व्यथित करके सदा,हो जाती है मौन!!
बजा बाँसुरी प्रेम की,डालो मुझमे प्राण!
पुनः मुझे जीवित करो,कब से हूँ म्रियमाण!!
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी। ।सादर
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी। ।सादर प्रणाम
अन्तरंग भाव से लिखे सभी दोहे एक से बढकर एक | बहुत बहुत बधाई श्री राम शिरोमणि भाई
एक शब्द - वाह !
शुभ-शुभ
हार्दिक आभार आदरणीया प्राची जी। .... सादर
हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी। .... सादर
बहुत सुन्दर प्रेम पगी शृंगारिक दोहावली प्रस्तुत की है प्रिय राम शिरोमणि जी
बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर, एक से बढ़कर एक दोहा बधाई आदरणीय राम भाई
हार्दिक आभार आदरणीया महिमा जी। ....... सादर
bahut hi sunder manohari dohawali priy ramshiromani ji hardik badhai ..
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