For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी अनकही बातों पर ऐतबार न कर.

जमाना बेताब है मुश्किलें पैदा करने को,

मेरी अनकही बातों पर ऐतबार न कर.

बढ़ते रहे दरमियाँ दिलों के बीच,

चाहत ये जमाने की कामयाब न कर.

एक लकीर है हमारे और उसके बीच,

डर है गुम  होने का, उसे पार न कर.

कल का सूरज किसने देखा है,

आ भर ले बाहों में इन्कार न कर.

यक़ीनन ढला ज़िस्म फौलाद के सांचें में,

पर दिल है शीशे का, तू वार न कर.

शक अपनों पर, परायों के खातिर,

यकीं नहीं है तो फिर प्यार न कर.

........मौलिक व अप्रकाशित..........

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 12:03pm

नीरज जी...................हम भले ही इस भ्रम में रहे कि हम करता है. परन्तु हम करता नहीं है ..............यह सहज तरीके से अनुभव किया जा सकता है...........इसमे कृष्ण को कहने और न कहने का सवाल ही नहीं उठता ...............आप मेरे लिए जितना सच है उतना ही कृष्ण मेरे लिए झूठ...............

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:35am

आदरणीय सौरभ जी......................बिलकुल..............आप सभी का बेशकीमती समय मिला हार्दिक आभार!..............

Comment by Neeraj Nishchal on February 4, 2014 at 11:35am

वाह वाह वाह अनिल भाई क्या बात कह दी
लिखते नहीं हैं लिख जाता है
यही तो मै भी कहना चाहता हूँ जिस तरह जीवन प्रभु का प्रसाद है हमारा प्रयास नही
उसी तरह कविता भी प्रभु का प्रसाद ही है हमारा प्रयास नही
लाइन में लग जाते हैं मिल जाता है , ये तो परम धन्यभाग है जैसे गीता में कृष्ण कहते हैं
कर्ता न बनो बल्कि हो जाओ शायद यही विकर्म है यही स्वधर्म ।

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:32am

आदरणीया!

........शुक्रिया

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:31am

आदरणीय नीरज जी ..................आपको अच्छा लगा हो यह अलग बात है पर मेरे लिए यह अच्छा नहीं क्योंकि इससे बेहतर हो सकता था और वो कला इस मंच से अपने अन्दर उतारनी है......

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:29am

आदरणीय गिरिराज जी.......................शुक्रिया ...........प्रयास किया ही नहीं मैं बस युहीं लिख गया...............

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:27am

आदरणीय अरुण जी.................................हार्दिक आभार........................जी अभी मुझे किसी भी रचना के बारे में कोई जानकारी नहीं है ....................मैं लिखता नहीं बल्कि लिख जाता है.............यह दिपदीय है यह भी मुझे यहाँ आकर मालूम हुआ......जो मेरे लिए अच्छी बात है. उम्मीद करता हूँ आगे भी बहुत कुछ आप लोगों से सिखने को मिलेगा.......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 1, 2014 at 2:14am

बहुत खूब भाईजी..

भाई अरुनजी के कहे पर अवश्य ध्यान दीजियेगा. आपकी संभावनाओं को अर्थ मिल जायेंगे.

शुभ-शुभ

Comment by annapurna bajpai on January 27, 2014 at 6:05pm

आ0 अनिल जी सुंदर द्विपदीय आपको बहुत बधाई । 

Comment by Neeraj Nishchal on January 27, 2014 at 5:30pm

भाई अनिल जी नमस्कार बहुत अच्छा लिखा है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service