For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनिल कुमार 'अलीन'
Share on Facebook MySpace

अनिल कुमार 'अलीन''s Friends

  • बृजेश नीरज
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • Sarita Sinha
  • Ashok Kumar Raktale
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • JAWAHAR LAL SINGH
  • योगराज प्रभाकर
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"

अनिल कुमार 'अलीन''s Groups

 

अनिल कुमार 'अलीन''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
बलिया उत्तर प्रदेश
Native Place
नारायनपुर, करची नारायनपुर, तहसील-बलिया, जिला-बलिया
Profession
SERVICE
About me
The word Anil means Prana Vayu moves towards the centre of the body. It is energy that receives things coming into the body in the form of solid, liquid, and air as well as all sensory perception and mental experiences. It works to maintain the proper temperature of the relative to one’s environment. From my childhood, I have showed inclination towards mystery of universe, spirituality and social systems. I m here to share ideas and knowledge related with individual, social, mental, universal and spiritual issues. I want to be a human that will be known for a human being and a social activist. Anil Kumar ‘Aline’, Additional program officer (MGNREGA), belongs to Ballia, UP. I have completed my graduation from Government P. G. College Obra, Sonebhadra and MBA-HR from Punjab Technical University Jalandher. I believe in honesty, discipline and punctuality. I hate making execuse. I have strong presentation skill, positive will power and analytical skills. My hobbies are composing poems, songs and playing badminton.

अनिल कुमार 'अलीन''s Blog

मौत आती है पर मरते-मरते

कोई कैसे सुने दास्ताँ मेरी

खुद को भूल जाते सुनते-सुनते.

 

वो भी साथ होते मेरे लेकिन

पांव थक जाते हैं चलते-चलते.

 

याद आती मुझे जब कभी उसकी

आँसू बहाते हैं चुपके-चुपके.

 

दिल बहुत चाहता आज हँसने को

आँख भर आती है हँसते-हँसते.

 

मर गये होते चाहत में उसके

मौत आती है पर मरते-मरते.

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

अनिल कुमार 'अलीन'

Posted on February 5, 2014 at 11:30pm — 11 Comments

मेरी अनकही बातों पर ऐतबार न कर.

जमाना बेताब है मुश्किलें पैदा करने को,

मेरी अनकही बातों पर ऐतबार न कर.

बढ़ते रहे दरमियाँ दिलों के बीच,

चाहत ये जमाने की कामयाब न कर.

एक लकीर है हमारे और उसके बीच,

डर है गुम  होने का, उसे पार न कर.

कल का सूरज किसने देखा है,

आ भर ले बाहों में इन्कार न कर.

यक़ीनन ढला ज़िस्म फौलाद के सांचें में,

पर दिल है शीशे का, तू वार न कर.

शक अपनों पर, परायों के खातिर,

यकीं नहीं है तो फिर प्यार न…

Continue

Posted on January 23, 2014 at 11:30pm — 12 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:28pm on January 25, 2014, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है .सादर सस्नेह 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
21 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service