For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हसीन सपने कभी घर भी जला देते हैं

ल ला ल ला      ला ल ला ला   ल ल ला ला   ला ला 

शबाब फूलों का शबनम में मिला देते हैं 

शराब यूं ही हसी रोज बना देते हैं

दुआएं करते हैं हम जब भी अमन की खातिर

कबूतरों को भी हाथों से उड़ा देते हैं 

कभी जो आया हमें याद सुहाना बचपन

हँसी घरोंदा ही बालू पे बना देते हैं 

हुए न जब भी चरागा हैं मयस्सर हमको 

चरागे दिल को यूं ही रोज जला देते हैं 

समझ रहे हैं फकीरों को भिखारी या रब 

फ़कीर खुद ही जिन्हें रोज दुआ देते हैं 

हँसी चमन में है ये कैसी उदासी यारों 

चलो गुलों से चमन आज सजा देते हैं 

यकीन होता तो है यार मगर मुश्किल से 

हसीन सपने कभी घर भी जला देते हैं 

उमर गुजारी थी ऐ आशु सहारे जिनके 

उन्ही गुलों में छिपे खार दगा देते हैं 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 5, 2014 at 9:48am

दुआएं करते हैं हम जब भी अमन की खातिर

कबूतरों को भी हाथों से उड़ा देते हैं...........बहुत खूब............

Comment by coontee mukerji on January 31, 2014 at 9:02pm

समझ रहे हैं फकीरों को भिखारी या रब 

फ़कीर खुद ही जिन्हें रोज दुआ देते हैं .......बहुत खूब...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2014 at 8:25pm

कभी जो आया हमें याद सुहाना बचपन

हँसी घरोंदा ही बालू पे बना देते हैं 

यकीन होता तो है यार मगर मुश्किल से 

हसीन सपने कभी घर भी जला देते हैं 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है ..ये दो शेर बहुत बहुत पसंद आये 

हार्दिक बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 31, 2014 at 4:25pm

aआदरणीय पवन जी, ब्रिजेश जी जीतेन्द्र जी ..आप सभी के उत्साहवर्धन से ही लिखने की सतत प्रेरणा मिलती है ..आप सभी का स्नेह बस यूं ही मिलता रहे  इसी  अभिलाषा के साथ 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 31, 2014 at 10:01am

यकीन होता तो है यार मगर मुश्किल से 

हसीन सपने कभी घर भी जला देते हैं .............यह शेर खास पसंद आया

दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 8:14pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by pawan amba on January 30, 2014 at 1:24pm

कभी जो आया हमें याद सुहाना बचपन

हँसी घरोंदा ही बालू पे बना देते हैं ...बहुत सुन्दर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 30, 2014 at 10:32am

आदरणीया  राजेश जी ..आपके मार्गदर्शन के लिए तहे दिल धन्यवाद ..आपके मार्गदर्शन के अनुरूप संशोधन कर लूँगा ..बस यूं ही स्नेह बनाए रखिये ..सादर प्रणाम के साथ .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 29, 2014 at 7:55pm

कभी जो आया हमको याद सुहाना बचपन----इसको यदि ऐसे लिखें तो वज्न सही हो जाएगा ---कभी जो आया हमे याद सुहाना बचपन 

सभी शेर काबिले तारीफ हैं दिली दाद कबूलें आदरणीय  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 29, 2014 at 5:01pm

आदरणीया मीना जी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दी धन्यवाद ..सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service