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लघु कथा :- बीस बाईस वर्ष का बूढ़ा...

नगर बस में भीड़ के रेले में धकियाया गया एक बुढ्ढा बेचारा.
छोटे कद के कारण न तो छत पर लटके हैंडल पकड़ पा रहा था और न ही सीट पर सहारा पाने कि कोई उम्मीद ही दिख रही थी. नगर बस में कई जगह ' अपने से ज्यादा ज़रुरत मंदों को सीट दे ' के सूचना पट्टियाँ लगीं थी और उस बूढ़े कि खिल्ली उड़ा रहीं थीं .
अचानक एक सीट खाली हुई...आशा भरी द्रष्टि से बूढा उस सीट की ओर लपका. तभी एक बीस बाईस वर्ष का एक लड़का अपनी उम्र को दर्शाती फुर्ती के साथ सीट पर काबिज़ हो गया, और बुढ्ढा एक बार फिर निराश.
लोगों ने लड़के से बुढ्ढे को सीट देने को कहा तो लड़के ने सूचना पट्टी की ओर इंगित किया ....
ऊपर लिखा था ...." स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आरक्षित "
लड़का लोगों को संतुष्ट कर रहा था "मैं स्वतंत्रता- सेनानी का नाती हूँ न"
डॉ. ब्रिजेश

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Comment

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Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on February 6, 2011 at 11:47am
गणेश भाई आपके द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया का आभारी हूँ किन्तु मै तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानिओं को मिल रही सुविधाओं के दुरुपयोग पर आप सभी विद्वतजनों का ध्यानाकर्षण चाहता था . शायद इसमें मैं असफल हुआ ....
Comment by Abhinav Arun on February 6, 2011 at 9:39am

सच्ची बात हम तरक्की कर रहे हैं ,पर संवेदन हीन विकास हमें कहाँ ले जा रहा है ?

अभी एक पोस्ट में मैंने कहा  है -

"जब बुजुर्गों के चरण छूते थे हम ,

दौर एक ऐसा अदब का था गया |"

प्रभाव लघु कथा के लिये साधुवाद |

Comment by आशीष यादव on February 5, 2011 at 7:52am
yah shikshaprad laghukatha padhkar bahut achchha laga. ye sare ku kartawya hame sochne pe majboor kar dete hai.  kaun asli hakdaar hai uski parwaah kiye bagair samarth jan kaabij ho jaate hai, ye bahut buri baat hai|
Comment by Rash Bihari Ravi on February 3, 2011 at 1:12pm
bahut sundar sikchhaprad

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2011 at 7:08pm
ब्रिजेश सर, कुछ दिनों के अंतराल के बाद OBO पर  आपकी वापसी बहुत ही सुखकर लगा, आप की लघु कथा बहुत कुछ कहने मे समर्थ है, युवा वर्ग को सोचना होगा कि क्या हमारी संवेदना ख़त्म होती जा रही है या वास्तव मे २० / २२ वर्ष कि उम्र मे ही हम बूढ़े हो जा रहे है जो एक बुजुर्ग कि उपेक्षा कर रहे है | बहरहाल एक बेहतरीन और शिक्षाप्रद लघु कथा हेतु बधाई स्वीकार करे |

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