मजदूर हूँ मैं किसान हूँ
सबके करीब सबसे दूर हूँ
तपती लू के थपेड़ों ने
झुलसाया मुझे बहुत
अनवरत करता रहा भूख प्यास से व्याकुल
होकर भी अपना काम
कभी पाला कभी कोहरा प्रकति ने भी मुझे नही छोड़ा
कहर बनकर आँसमा बहा ले गया सबकुछ
फिर भी खड़ा हूँ स्थिर
मजदूर हूँ मैं किसान हूँ
हर कोई हरदम मुझ पर जोर अजमा रहा है
दिखती है उन्हे बस
लहलहाती हुई फसलें
नही किसी को नही दिखते
मेरे आँसूं मेरे गम मेरी मेहनत
जो अपने परिवार का काट कर मैंने पेट
तैयार की ये फसल
इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब
पर फिर भी मुझे नही मिल रही
दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन
मजदूर हूँ मैं किसान हूँ
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
लहलहाती हुई फसलें
नही किसी को नही दिखते
मेरे आँसूं मेरे गम मेरी मेहनत
जो अपने परिवार का काट कर मैंने पेट
तैयार की ये फसल -----------वाह
बहुत ही सुंदर बधाई आपको
इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब
पर फिर भी मुझे नही मिल रही
दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन
मजदूर हूँ मैं किसान हूँ.....किसानों की विड्म्बना का सच्चा उद्गार.
बहुत सुन्दर रचना ...
आदरणीया प्रज्ञा जी , किसानों की परिस्थिति का सुन्दर चित्रण हुआ है , आपको बधाइयाँ ॥
इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब
पर फिर भी मुझे नही मिल रही
दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन
मजदूर हूँ मैं किसान हूँ
किसान का जीवन हमेशा आशा और उम्मीदों पर आश्रित होता है, इस बार अच्छी फसल होगी तो अपने पूरे परिवार के लिए यह करना है वो करना है, बस इसी उधेड़बुन में लगा रहता है, अंकुरण से फसल कटाई तक कीटों, अतिवृष्टि,ओलावृष्टि, अग्नि, जंगली जानवरों की चिंता व् उनसे डटकर मुकाबला करना, भूखे रहना, कपकपा देती सर्दियों में खेतो में पड़े रहना, तेज धूप में खड़े रहना, बारिश में कच्चे रास्तों में चलना . इसके पश्चात् फसल आ गई तो ठीक नही तो फिर इन्ही आशा और उम्मीदों पर आश्रित रहना
एक वास्तविकता लिए हुयी बहुत सुंदर रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रज्ञा जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online