For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ

सबके करीब सबसे दूर हूँ

तपती लू के थपेड़ों ने

झुलसाया मुझे बहुत

अनवरत करता रहा भूख प्यास से व्याकुल

होकर भी अपना काम

कभी पाला कभी कोहरा प्रकति ने भी मुझे नही छोड़ा

कहर बनकर आँसमा बहा ले गया सबकुछ

फिर भी खड़ा हूँ स्थिर

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ

हर कोई हरदम मुझ पर जोर अजमा रहा है

दिखती है उन्हे बस

लहलहाती हुई फसलें

नही किसी को नही दिखते

मेरे आँसूं मेरे गम मेरी मेहनत

जो अपने परिवार का काट कर मैंने पेट

तैयार की ये फसल

इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब

पर फिर भी मुझे नही मिल रही

दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 7, 2014 at 7:13pm

लहलहाती हुई फसलें

नही किसी को नही दिखते

मेरे आँसूं मेरे गम मेरी मेहनत

जो अपने परिवार का काट कर मैंने पेट

तैयार की ये फसल -----------वाह

बहुत ही सुंदर बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on February 6, 2014 at 11:57pm

इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब

पर फिर भी मुझे नही मिल रही

दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ.....किसानों की विड्म्बना  का सच्चा उद्गार.

Comment by Meena Pathak on February 6, 2014 at 4:52pm

बहुत सुन्दर रचना ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 6, 2014 at 2:38pm

आदरणीया प्रज्ञा जी , किसानों की परिस्थिति का सुन्दर चित्रण हुआ है , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 5, 2014 at 11:59am

इसकी सुंदरता पर ही लुभा रहे हैं सब

पर फिर भी मुझे नही मिल रही

दो वक्त की भर पेट रोटी और थोड़ा चैन

मजदूर हूँ मैं किसान हूँ

किसान का जीवन हमेशा आशा और उम्मीदों पर आश्रित होता है, इस बार अच्छी फसल होगी तो अपने पूरे परिवार के लिए यह करना है वो करना है, बस इसी उधेड़बुन में लगा रहता है, अंकुरण से फसल कटाई तक कीटों, अतिवृष्टि,ओलावृष्टि, अग्नि, जंगली जानवरों की चिंता व् उनसे डटकर मुकाबला करना, भूखे रहना, कपकपा देती सर्दियों में खेतो में पड़े रहना, तेज धूप में खड़े रहना, बारिश में कच्चे रास्तों में चलना . इसके पश्चात् फसल आ गई तो ठीक नही तो फिर इन्ही आशा और उम्मीदों पर आश्रित रहना

एक वास्तविकता लिए हुयी बहुत सुंदर रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रज्ञा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service