डरना कैसा मौत से, यह तो सच्ची यार
धोखा देती जिन्दगी , मौत निभाए प्यार /
मौत निभाए प्यार , साथ है लेकर जाती
सबक जिंदगी रोज, नया हमको सिखलाती
नेक मौत का काम, सबकी पीर को हरना
सरिता कहे पुकार, मत तुम मौत से डरना //
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................मौलिक व प्रकाशित ...........
Comment
ठीक कहा आदरणीय रमेश भाई
आदरणीय गिरिराज जी कुण्डलिया आपको पसंद आई तो रचना सार्थक हुई ,हार्दिक आभार
आदरणीय राम जी तह दिल से शुक्रिया
बहुत ही सुंदर आदरणीया मृत्यु अटल सत्य है तो डर भी तो एक सत्य ही है ।
आदरणीया सरिता जी , बहुत सुन्दर कुंडलिया की रचना की आपने , आपको बधाई ॥
यथार्थ से अवगत कराती सुन्दर कुण्डलिया छंद हार्दिक बधाई आदरणीया सरिता जी /// सादर
तह दिल से शुक्रिया अरुण स्नेह बनाये रखें
आदरणीया सरिता जी वाह बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद आनंद आ गया पढ़कर बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीया मीना जी शुक्रिया
बहुत सुन्दर सरिता जी .. बधाई
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