For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

   मन बौराया

कंगना खनका

मन बौराया

ऐसा लगता फागुन आया ।

रूप चंपयी

पीत बसन

फैली खुशबू

ऐसा लगता

यंही कंही  है चन्दन वन ।

पागल मन

उद्वेलित करने

अरे कौन चुपके से आया ?

पनघट पर

छम छम कैसा यह !

कौन वहाँ रह – रह बल खाता ?

मृगनयनी वह परीलोक की

या है वह  –

सोलहवां सावन !

मन का संयम

टूटा जाये

देख देख यौवन गदराया ।

कंगना खनका

मन बौराया

ऐसा लगता फागुन आया ।

  ---- मौलिक एवं अप्रकाशित ---

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by S. C. Brahmachari on February 26, 2014 at 8:26pm

रचना की प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार डॉ प्राची बहन !

फागुन के मौसम मे बौराये मन को वर्ण भेद का ध्यान रह कहाँ जाता है ?

फिर भी आप द्वारा उठाए गए  बिन्दु पर विद्वतजनों का मार्ग दर्शन अवश्य चाहूँगा ।

पुनश्च रचनाओं पर की जा रही आपकी  समीक्षात्मक टिप्पणी की हार्दिक प्रशंसा करता हूँ ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 25, 2014 at 2:11pm

कंगन की खनक और पायल की झंकार से तरंगित फाल्गुल के मन को मतवाला कर देने वाली इस प्रस्तुति के लिए आदरणीय ब्रह्मचारी जी आपको हार्दिक शुभकामनाएं 

मुझे लगता है इन पंक्तियों को स्त्रीलिंग में कहा जाना चाहिए 

पनघट पर

छम छम कैसा यह !

कौन वहाँ रह – रह बल खाता ?....शायद सहमत हों !

Comment by S. C. Brahmachari on February 24, 2014 at 10:20pm

श्रद्धेय योगराज प्रभाकर जी ,

आपकी प्रशंसा से मन फागुनी हुआ जाता है । मन रंगो से खेल रहा , देखूँ अब क्या ले कर आता है । हार्दिक आभार !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 24, 2014 at 5:22am

फागुन के दिलकश रंगों से सराबोर इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० ब्रह्मचारी जी.

Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 10:25pm

डॉ0 आशुतोष मिश्रा जी ,
मन को छू लेनेवाली रचना की प्रशंसा के लिए आपका आभार !

Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 10:17pm
बहन अन्नपूर्णा जी,
रचना की प्रशंसा के लिए आभार !
Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 10:15pm
श्री राम शिरोमणि पाठक जी,
रचना ने आनंद प्रदान किया, जानकर अच्छा लगा । फागुन आपको और आनंदित करे ऐसी कामना है ।
आभार !
Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 10:07pm
श्री श्याम नारायण वर्मा जी,
हार्दिक आभार !
Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 10:04pm
श्री लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी,

रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार स्वीकार करें ।
Comment by S. C. Brahmachari on February 23, 2014 at 9:58pm
भाई जीतेंद्र गीत जी,
फाल्गुनी रचना की प्रशंसा के लिए आभार स्वीकारें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
8 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
24 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service