सात दोहे – '' रिश्ते ''
******* ******
नाराजी जो है कहीं , मिल के कर लो बात
खामोशी देती रही , हर रिश्ते को मात
रिश्तों को भी चाहिये , इन्जन जैसे तेल
बिना तेल देखे बहुत , झटके खाते मेल
तेरा घोड़ा तेज़ है , माना मेरा सुस्त
देखो रिश्ता हो गया , पहले जैसे चुस्त
तू माने खुद को बड़ा , तो मैं भी हूँ शेर
बढ़ने में अब दूरियाँ , नहीं लगेगी देर
आपस की कमियाँ भरें , यारी की ये रीत
यही बढ़ाती है सदा , हर नाते में प्रीत
हाथ मिला के कब हुआ, मन से मन का मेल
ये भावों की बात है , ये अन्दर का खेल
मैं जैसा भी हूँ अभी , जो कर ले स्वीकार
उसकी सारी ग़लतियों, से मुझको भी प्यार
***********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय भुवन निस्तेज भाई , दोहों की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥
हाथ मिला के कब हुआ, मन से मन का मेल
ये भावों की बात है , ये अन्दर का खेल
Respected sir highly enlightened words...Great!
आदरणीय अरुण अनंत भाई , दोहों की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका शुक्रिया !!
आदरणीय गिरिराज सर बहुत सुन्दर दोहावली रची है आपने एक एक दोहा सन्देशपरक है मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आदरणीय हेमंत भाई , आपका बहुत आभार ॥
आदरनीय सौरभ भाई , दोहों की सराहना स्वरूप आपके दोहे के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
बहुत सुन्दर !
सम्बन्धों की वादियाँ, लिये छाँव औ’ धूप
दिखलाया गिरिराज ने, इनका नाजुक रूप
सादर
आ. आकाश वर्मा भाई , दोहों को आपका अनुमोदन मिला , बड़ी खुशी हुई , आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आ.लक्ष्मण भाई , आपका बहुत शुक्रिया ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online