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umda
मंजिलें जब पास हों तब और करती हैं भ्रमित
जो न हो विश्वास क़दमों को बढ़ा कर देख लो.........यह शेर बहुत खास हुआ
बेहद खुबसूरत गजल आदरणीय अनुराग जी, हार्दिक बधाई आपको
आदरनीय अनुराग भाई , बहुत खूब सूरत ग़ज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ , आदरणीय मतला बहुत पसन्द आया , आपको बधाइयाँ ॥
जिंदगी कितनी हंसीं है आओ आकर देख लो
एक पिंजराबंद पंछी को उड़ाकर देख लो ------ बहुत खूब ॥
बहुत अच्छी ग़ज़ल है! आपको हार्दिक बधाई!
यदि बहर का जिक्र किया गया होता तो हम जैसे नव-विद्यार्थियों को भी शिल्प समझने में आसानी होती.
सादर!
जिंदगी कितनी हंसीं है आओ आकर देख लो
एक पिंजराबंद पंछी को उड़ाकर देख लो..
बहुत खूबसूरत, बधाई आदरणीय अनुराग जी।
वाह, वाह!!हर शे'र लाजवाब! मतला विशेष पसंद आया बहुत ही सुंदर गजल। आदरणीय अनुराग जी,बहुत बहुत बधाई आपको
वाह ,बहुत बधाई पर आदरणीय गजल शायद बह्र में नहीं
हम निहत्थे हैं मगर माँ की दुवाएँ साथ हैं
जीत किसकी, हार किसकी आज़मा कर देख लो
माँ मुझे मालूम है हालात कुछ अच्छे नहीं
हौसला हो जायेगा गर मुस्कुरा कर देख लो...................... बहुत खूब , हर अशर कमाल का हुआ है । आ0 अनुराग जी दाद कुबूल फरमाए ।
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