देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
कैसा है तुमसे रिश्ता हमको नही पता
पर बात अपने दिल की मैं तुमको दूँ बता
जैसे है तेरे साथ रिश्ता मेरा अहम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
देखा था मैनें सपना एक रात क्या कहूँ
आँखो से छलकते अश्कों के साथ मैं बहूँ
ये बात मेरी ऐसी नहीं हो तुझे हजम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
आ कर तुम बैठो मेरे पास मेरे यार
रहूँ देखता मैं तुझको करता रहूँ प्यार
करते है तुमसे प्यार या है मेरा वहम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय savitamishra जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय savitamishra जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय Saurabh Pandey जी
एक बढिया और तार्किक प्रयास के लिए बधाई, भाई. सफ़र लम्बा है तो क्या शुुरु तो हो ही गया है.
शुभ-शुभ
बहुत ही सुंदर रचना
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीया सरिता जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीया मीना पाटकर जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीया अन्पूर्ण वाजपेयी जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय अखिलेश श्रीवास्तव जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय मनोज कुमार मंयक जी
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