For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनों नें जो मुझपर फेंका पत्थर है 

वो गैरों के फूलों से तो बेहतर है

 

दुनिया समझी थी वो कोई शायर है

जिसका दामन मेरे अश्कों से तर है

 

ऐ खुशियों तुम सावन बनकर मत आना

पिछली बारिश ने तोडा मेरा घर है

 

भूखा मंदिर जायेगा क्या पायेगा

रोटी बन पाता क्या संगेमरमर है

 

धरती सौ हिस्सों में बाँटो होगा क्या

पक्षी का तो आना जाना उड़कर है

 

चूल्हा जलने से रोको इस बस्ती में

इस बस्ती में आंधी आने का डर है

 

दुःख रेतीले पर्वत सा ढह जायेगा

अपना दिल भी तो तूफानों का घर है

 

भुवन निस्तेज

(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 843

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on March 23, 2014 at 12:05pm

दुःख रेतीले पर्वत है ढह जायेंगे

जीने वालों के तूफ़ानी तेवर है.............बहुत खूब.

Comment by बृजेश नीरज on March 23, 2014 at 9:56am

अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!

ग़ज़ल की बहर का भी जिक्र किया होता तो मुझ जैसे छात्रों को भी समझने-सीखने में आसानी होती.

Comment by annapurna bajpai on March 23, 2014 at 12:32am

सुंदर गजल , बहुत बधाई आपको । 

Comment by shashi purwar on March 22, 2014 at 10:01pm

हार्दिक बधाई आ. भुवन जी  , सुन्दर गज़ल कही है

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 22, 2014 at 8:42am

चूल्हा जलने से रोको इस बस्ती में

इस बस्ती में आंधी आने का डर है............बहुत बहुत बधाई आदरणीय भुवन जी

Comment by Omprakash Kshatriya on March 22, 2014 at 7:07am

चूल्हा जलने से रोको इस बस्ती में
इस बस्ती में आंधी आने का डर है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, शानदार बात कही है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 20, 2014 at 2:37pm

आ. भुवन भाई , सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by Shyam Narain Verma on March 20, 2014 at 12:31pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service